नारी डेस्क: पौराणिक कथाओं में भगवान श्री कृष्ण की माताओं के बारे में सामान्यतः दो नाम ही प्रसिद्ध हैं, देवकी और यशोदा। देवकी, जिन्होंने कृष्ण को जन्म दिया, और यशोदा, जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया। हालांकि, कुछ विद्वानों का कहना है कि श्री कृष्ण की एक तीसरी मां भी थीं, जिनका नाम रोहिणी है। रोहिणी, वसुदेव की दूसरी पत्नी और बलराम की मां थीं। इस लेख में हम इन तीन माताओं की भूमिका और उनके महत्व को विस्तार से समझेंगे, और जानेंगे कि कैसे इनका योगदान श्री कृष्ण के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण रहा।
देवकी, जन्मदाता माता
देवकी भगवान श्री कृष्ण की जन्मदाता माता थीं। देवकी और वसुदेव का विवाह हुआ था, और उनका आठवां पुत्र भगवान श्री कृष्ण था। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ, जब कंस ने देवकी के सभी पुत्रों को मारने की योजना बनाई थी। देवकी ने भगवान कृष्ण को जन्म दिया, लेकिन उन्हें जन्म के तुरंत बाद नंदगांव भेज दिया गया ताकि उन्हें कंस के अत्याचारों से बचाया जा सके। देवकी का मातृत्व केवल कृष्ण के जन्म तक ही सीमित रहा और उनका मुख्य रूप से योगदान कृष्ण के जन्म के समय की परिस्थितियों से जुड़ा था।
यशोदा, पालन-पोषण करने वाली माता
यशोदा भगवान श्री कृष्ण की दूसरी मां थीं। जब कृष्ण को मथुरा से नंदगांव भेजा गया, तो यशोदा ने कृष्ण का पालन-पोषण किया। यशोदा एक दयालु और स्नेही माता थीं जिन्होंने कृष्ण को प्रेम और देखभाल से पाला। उन्होंने कृष्ण को एक सामान्य बच्चे की तरह पाला और उनका पालन-पोषण किया, जिससे कृष्ण की जीवन की मौज-मस्ती और बचपन का विकास हुआ। यशोदा का मातृत्व भगवान कृष्ण के जीवन में महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने उसे एक सामान्य जीवन जीने का अवसर प्रदान किया और उसके व्यक्तित्व को आकार दिया।
रोहिणी, तीसरी मां
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण की तीसरी मां रोहिणी थीं। रोहिणी, वसुदेव की दूसरी पत्नी थीं और बलराम की मां भी थीं। जब कृष्ण को नंदगांव भेजा गया, तो रोहिणी ने कृष्ण की देखभाल की। रोहिणी और यशोदा ने मिलकर कृष्ण और बलराम दोनों की देखभाल की। रोहिणी की भूमिका कृष्ण की परवरिश में महत्वपूर्ण थी क्योंकि उन्होंने न केवल कृष्ण को एक मां की तरह स्नेह दिया, बल्कि उन्होंने कृष्ण और बलराम को एक साथ पालन-पोषण किया। उनकी देखभाल और स्नेह ने कृष्ण के जीवन में एक स्थिरता और सामंजस्य प्रदान किया।
भगवान श्री कृष्ण की तीन माताओं, देवकी, यशोदा, और रोहिणी ने मिलकर उनके जीवन को आकार दिया। देवकी ने उन्हें जन्म दिया, यशोदा ने उनका पालन-पोषण किया, और रोहिणी ने भी उनकी देखभाल की। इन तीनों माताओं की भूमिका भगवान कृष्ण के जीवन की विविधता और समृद्धि को दर्शाती है। पौराणिक कथाओं में इन माताओं के योगदान को समझना हमें उनके जीवन की गहराई और भारतीय संस्कृति की समृद्धि को समझने में मदद करता है। इन माताओं के बिना, कृष्ण के जीवन की कहानी अधूरी होती और उनके व्यक्तित्व की पूर्णता का अनुभव नहीं हो पाता।