नारी डेस्क: ऑटोइम्यून रोग वे रोग होते हैं जहां पर शरीर की स्वच्छंद रोग संरक्षक प्रणाली, जिसे ऑटोइम्यून सिस्टम कहा जाता है, खुद के ऊपर ही हमला करता है। इस सिस्टम का काम होता है कि यह पहचानता है कि शरीर के अंदर कौन से कोशिकाएं और प्रतिज्ञा जिस्म में संग्रहीत है, वे स्वस्थ या गैर स्वस्थ हैं।
जब यह प्रणाली गलती से अपने ही कोशिकाओं और प्रतिज्ञाओं को बजाय खराब कोशिकाओं और प्रतिज्ञाओं को हमला करती है, तो उसे ऑटोइम्यून रोग कहते हैं। ये रोग व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं जैसे कि जोड़ों, त्वचा, गुर्दे, या अन्य अंगों को।
इन रोगों का पता लगाना और इन्हें इलाज करना अक्सर समय लेने वाला होता है, लेकिन व्यापक और सही इलाज से इन रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है।
कारण:
ऑटोइम्यून रोगों के निषेध उनके सच्चे कारणों को समझ पाना बहुत कठिन हो सकता है, लेकिन ये जेनेटिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय ट्रिगर्स के संयोजन के कारण हो सकते हैं। कुछ कारक जो ऑटोइम्यून रोगों के विकास में सहायक हो सकते हैं:
जेनेटिक्स
कुछ विशेष जीन ऑटोइम्यून रोगों के विकास में जुड़े हो सकते हैं। अगर परिवार में ऑटोइम्यून रोग के मरीज हैं, तो उनके युवाओं के लिए खतरा बढ़ सकता है।
पर्यावरणीय ट्रिगर्स
संक्रमण (जैसे कि वायरस और बैक्टीरिया), धूल मिट्टी, रासायनिक पदार्थों, या अन्य आयुर्विज्ञानिक उपचार भी इसे बढ़ा सकते हैं।
ऑटोइम्यून रोगों के कई प्रकार होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख ऑटोइम्यून रोग निम्नलिखित हैं:
1. रीमेटॉयड आर्थराइटिस (रेताब्ध अस्थिजड़ में पुराने आपदा)
2. लुपस (संघिता)
3. टायप-१ डायबीटीज (सर्वप्रथम लकड़ियाँ)
लक्षण:
ऑटोइम्यून रोगों के लक्षण विभिन्न हो सकते हैं, जो रोग के प्रकार और प्रभावित ऊतकों पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षण शामिल हो सकते हैं:
- असामान्य थकान और कमजोरी
- त्वचा की तारलता और दर्द
- जोड़ों में दर्द और सूजन
- गायने में बदलाव
- व्यायाम के दौरान सांस फूलना और तकलीफ
- अनियमित जठराश्य या बारहमुली बाधा
ऑटोइम्यून रोगों को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं जो निम्नलिखित हैं:
1. स्वस्थ जीवनशैली
एक स्वस्थ और योग्य जीवनशैली अपनाना ऑटोइम्यून रोगों के विकास को रोकने में मदद कर सकता है। यह शामिल करता है सही आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त आराम और समय-समय पर डॉक्टर की जाँच करना।
2. धूल-मिट्टी से बचाव
धूल-मिट्टी, रासायनिक पदार्थों और अन्य प्रदूषण से बचना आवश्यक है। इसके लिए मुख्य रूप से शुद्ध पानी पीना, हवा का साफ रखना और धूल-मिट्टी से दूर रहना शामिल है।
3. स्वस्थ वजन बनाए रखना
अतिरिक्त वजन से बचने के लिए स्वस्थ आहार खाना और नियमित व्यायाम करना बहुत महत्वपूर्ण है। ओबेसिटी ऑटोइम्यून रोगों के विकास में एक प्रमुख कारक हो सकती है।
4. संतुलित खान-पान
सही खाद्य सामग्री का उपयोग करना, जिसमें फल, सब्जियां, पूरे अनाज, और सेहतमंद तेल शामिल हो, आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
5. नियमित डॉक्टर की जाँच
यदि आपको किसी भी अनैतिकता के लक्षण या समस्या होती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उनके सुझावों का पालन करें।
ऑटोइम्यून रोगों के विकास को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपने शारीर का अच्छा ख्याल रखें और स्वस्थ जीवनशैली के नियमों का पालन करें।