भारत में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को धार्मिक दृष्टिकोण से अशुभ माना जाता है। विज्ञान के मुताबिक ये एक खगोलीय घटना होती है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन खगोलीय घटनाओं का असर राशि के व्यक्ति पर होता है। हमारे यहां ग्रहण के दौरान घर की कुछ विशेष जगहों को जैसे मंदिर और रसोई की ठीक प्रकार साफ-सफाई नहीं की जाए तो इसका असर घर की सुख-समृद्धि पर पड़ सकता है। हिन्दू धर्म में ग्रहण के बाद इन जगहों को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण के बाद मंदिर की साफ-सफाई कैसे करें...
मंदिर में करें गंगाजल का छिड़काव
मान्याताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है और इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मंदिर में किसी भी तरह की पूजा पाठ पर रोक होती है।जब चंद्र ग्रहण का प्रभाव पूरी तरह से खत्म हो जाए तब स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और अपने घर के मंदिर और सभी मूर्तियों को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। मान्याओं के अनुसार ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के किसी भी नकारात्मक प्रभाव का असर नहीं होता।
देवताओं की मूर्तियों का रखें खास ख्याल
मान्यता के अनुसार ग्रहण के बाद घर में मौजूद सभी देवताओं की मूर्तियों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। मूर्तियों की सफाई के लिए नींबू का पानी, दही, शहद और चंदन का इस्तेमाल किया जा सकता है। सभी मूर्तियों से वस्त्र बदलकर से वस्त्र बदलकर देवी-देवताओं को नए और साफ-सुथरे वस्त्र पहनाने चाहिए। जो वस्त्र चंद्र ग्रहण लगते वक्त भगवान ने धारण किए हुए होते थे, उन्हें दोबारा से भगवान की मूर्तियों को नहीं पहनना चाहिए।
मंदिर की सजावट भी बदलें
ज्योतिष शास्त्र मानता है कि यदि आपने मंदिर में सजावट कर रखी है तो सूतक काल से लेकर पूर्ण चंद्र ग्रहण खत्म होने तक जो भी सजावट की गई होती है, उन्हें जल्दी से बदल लें। मान्यता है कि ग्रहण काल के दौरान मंदिर में नकारात्मकता आ जाती है, इसलिए मंदिर में मौजूद सभी तरह की सजावटी चीजों को तुरंत विसर्जित कर देना ही उचित होता है। इसके अलाला मंदिर में चढ़ाए गए फूल, धूप, दीप, नारियल, नैवेद्य आदि तुरंत मंदिर से हटा देना चाहिए।
इस तरह मंदिर की साफ-सफाई करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। ईश्वर की कृपा से आपकी किस्मत भी चमक सकती है।