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कबूतर को हर रोज डालते हैं दाना? कहीं ये आदत आपके फेफड़ों को ना कर दे बीमार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 12 Sep, 2024 11:13 AM
कबूतर को हर रोज डालते हैं दाना? कहीं ये आदत आपके फेफड़ों को ना कर दे बीमार

भारत में, कई लोग अपने दिन की शुरुआत कबूतरों को खाना खिलाने से करते हैं। लेकिन वह इस बात से अनजान हैं कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने अब कबूतर के पंखों और बीट के लंबे समय तक संपर्क और क्रोनिक फेफड़ों की बीमारियों के बीच संबंध की पहचान की है। दावा किया जा रहा है कि कबूतरों को खाना खिलाना और उनके करीब रहना इंसानों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। 

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कबूतरों से इंसानों को हो सकता है नुकसान

 यह खुलासा तब हुआ जब डॉक्टरों ने एक 11 वर्षीय लड़के का इलाज किया, जो कबूतर के पंखों और बीट के संपर्क में आने के कारण गंभीर सास संबंधी बीमारी से पीड़ित था। शुरू में, उसने खांसी की शिकायत की थी - जो पहले तो सामान्य लगी, लेकिन बाद में अस्पताल में तत्काल देखभाल की आवश्यकता पड़ी। इसे बर्ड ब्रीडर लंग भी कहा जाता है, यह भारत में इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (ILD) का सबसे आम रूप है। 

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बढ़ रही है फेफड़ों की बीमारी

अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस तब होता है जब आप विशिष्ट पदार्थों या एलर्जेंस को सांस के जरिए अंदर लेते हैं जो आपके शरीर में एलर्जिक रिएक्शन का कारण बनते हैं। यह आमतौर पर एक व्यावसायिक बीमारी है जिसका इलाज एलर्जेन के संपर्क से बचकर किया जा सकता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह आपके फेफड़ों की छोटी हवा की थैलियों में सूजन पैदा कर सकता है, जिसे एल्वियोली भी कहा जाता है। आम एलर्जी के विपरीत ये अस्थमा का कारण बनती हैं, एचपी का कारण बनने वाले एलर्जेंस के बार-बार संपर्क में आने से सूजन हो सकती है और फिर आपके फेफड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंच सकता है। 

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भारत में सबसे आम है ये बीमारी

सर गंगा राम अस्पताल में मरीज को ऑक्सीजन थेरेपी दी जानी थी। यह एक हाई-फ्लो सिस्टम का उपयोग करके किया गया था और स्टेरॉयड उपचार के तहत रखा गया था। डॉक्टरों की टीम ने लड़के के फेफड़ों में सूजन को सफलतापूर्वक ठीक किया, जिससे वह फिर से सामान्य रूप से सांस ले सका। सीबीसी न्यूज ने मुंबई के डॉक्टर प्रहलाद प्रभुदेसाई के हवाले से कहा- "अतिसंवेदनशीलता निमोनिया होने के 300 से अधिक कारण हैं और कबूतरों के संपर्क में आना उनमें से एक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे देश में यह बीमारी का सबसे आम कारण है।"
 

बर्ड ब्रीडर लंग क्या है 

बर्ड ब्रीडर लंग** (Bird Breeder's Lung) एक प्रकार की हाइपरसेंसिटिविटी निमोनाइटिस है, जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करने वाली एक गंभीर स्थिति है। यह बीमारी उन लोगों में होती है जो लंबे समय तक पक्षियों के संपर्क में रहते हैं, जैसे कि पक्षी पालने वाले या ब्रीडर्स। इस बीमारी का मुख्य कारण पक्षियों के पंख, मल, या पंखों के सूक्ष्म कणों से निकलने वाले प्रोटीन और कवक होते हैं, जिनके लगातार संपर्क में आने से फेफड़ों में सूजन हो जाती है।

 

बर्ड ब्रीडर लंग के लक्षण

इसके लक्षण आमतौर पर पक्षियों के संपर्क में आने के बाद कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं। लक्षणों की गंभीरता संपर्क की मात्रा और समय पर निर्भर करती है। लक्षणों को तीन चरणों में बांटा जा सकता है:

एक्यूट (Acute) लक्षण

   - अचानक खांसी आना
   - बुखार और ठंड लगना
   - सांस लेने में कठिनाई (डिस्प्निया)
   - छाती में दर्द और भारीपन
   - सिरदर्द और थकान महसूस होना
   - जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
   - सांस लेने के दौरान सीने में खड़खड़ाहट की आवाज

 **सबएक्यूट (Subacute) लक्षण

   - लगातार सूखी खांसी
   - सांस की तकलीफ, विशेष रूप से शारीरिक गतिविधियों के दौरान
   - वजन कम होना
   - लगातार थकान महसूस होना

 **क्रॉनिक (Chronic) लक्षण

   - लंबे समय तक सूखी खांसी का रहना
   - फेफड़ों में स्थायी क्षति
   - फेफड़ों में फाइब्रोसिस (ऊतक की कठोरता) हो सकती है
   - सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई, यहां तक कि आराम करते समय भी
   - शारीरिक कमजोरी और थकावट


रोकथाम और बचाव

   - पक्षियों के संपर्क में आने से बचें, खासकर अगर आप पहले से ही संवेदनशील हैं।
   - अगर आपको पक्षियों के साथ काम करना जरूरी है, तो चेहरे पर मास्क पहनें और अच्छी वेंटिलेशन वाले स्थान पर रहें।
   - पक्षियों की सफाई करते समय ग्लव्स और मास्क का उपयोग करें।
   - पक्षियों के पिंजरों और उनके रहने के स्थान को नियमित रूप से साफ करें और धूल और पंखों के कणों को फैलने से रोकने के उपाय करें।
   - यदि किसी व्यक्ति को इस बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।

समय रहते इसका इलाज न करवाने पर यह बीमारी गंभीर फेफड़ों की समस्याओं का कारण बन सकती है, इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
 

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