इन दिनों सबसे आम और परेशान करने वाली बीमारी है डायबिटीज। आम तौर पर लोग डायबिटीज से बचने के लिए शुगर फ्री पर भरोसा करने लगते हैं। लोगों को लगता है कि ये बिलकुल सेफ है और डायबिटीज को कंट्रोल रखेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में इसे लेकर चेतावनी जारी की है, जिसे जानकर कई लोगों की चिंता बढ़ सकती है।
कई रागों का बढ़ रहा खतरा
डब्ल्यूएचओ ने शरीर के वजन को नियंत्रित करने या गैर-संचारी रोगों के खतरे को कम करने के लिए शुगर फ्री स्वीटनर्स (मिठास पैदा करने वाले पदार्थ) के इस्तेमाल के खिलाफ आगाह किया है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो वजन कम करने, स्वस्थ रहने, कम कैलोरी या फिर गैर-संचारी रोगों से बचाने के नाम पर बाजार में बेचे जा रहे ये विकल्प टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा रहे हैं।
इन पदार्थ को खाने की दी गई सलाह
डब्ल्यूएचओ के पोषण और खाद्य सुरक्षा के निदेशक फ्रांसिस्को ब्रांका का कहना है कि किसी भोजन या पेय पदार्थ में घुली किसी भी प्रकार की मिठास के स्थान पर एनएसएस का इस्तेमाल करने से लंबे वक्त तक वजन कम करने में मदद नहीं मिलती। इसकी बजाय ऐसे पदार्थ खाएं जिनमें प्राकृतिक रूप से मिठास होती है जैसे कि फल या बिना मिठास वाला भोजन और पेय पदार्थ।
स्वास्थ्य में सुधार लाने की जरूरत
ब्रांका ने एक बयान में कहा, ‘‘एनएसएस आहार के लिए आवश्यक तत्व नहीं है और इनका पोषण की दृष्टि से भी कोई महत्व नहीं है। लोगों को अपने स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए जीवन में शुरुआत से ही आहार में मिठास की मात्रा कम रखनी चाहिए।’’यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर गौर करें तो यह गैर-संचारी बीमारियां दुनिया भर में होने वाली 74 फीसदी मौतों की वजह हैं, जो हर साल करीब 4.1 करोड़ लोगों की जिंदगियां लील रही हैं।
डब्ल्यूएचओ ने दी यह सलाह
अक्सर इस कृत्रिम मिठास का उपयोग डिब्बा-बन्द खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में किया जाता है और दर्शाया जाता है कि यह पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इन गैर-शक्कर युक्त मिठास में मुख्यतः ऐस्पार्टेम, इस्सेल्फेम पोटेशियम, एडवेंटेम, साइक्लामेट्स, नियोटेम, सैक्रीन, सुक्रालोज, स्टेविया और उसके अन्य रूपों के अलावा अन्य उत्पाद शामिल हैं। इनमें कैलोरी के बिना ही मीठे का स्वाद लिया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि
बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि बचपन से मीठे का कम सेवन करना चाहिए।