अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण और रामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद बुधवार को पहली रामनवमी का विशेष आकर्षण है। राम जन्म-स्थान पर छह दिसंबर 1992 के बाद पहली बार रामनवमी का आयोजन और रामलला का पूजन तम्बू के मंदिर की जगह नवनिर्मित मंदिर में होने जा रहा है। इस बार इस आयोजन के लिये रामलला के श्रृंगार और पूजा-प्रसाद के लिये 2000 रुपये प्रतिवर्ष के सरकारी बजट का बंधन भी टूट चुका है।
राम मंदिर में कल दिन में 12 बजे श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जायेगा, जिसमें रामलला का सूर्याभिषेक होगा, फिर उनका श्रृंगार किया जायेगा। जन्मोत्सव की पूजा-अर्चना के बाद रामलला को ‘पंजीरी' (साबुत धनिया और शक्कर को मिलाकर बनाया गया प्रसाद) का भोग लगाया जायेगा।'' श्रीराम के जन्मोत्सव पर फूलों की वर्षा (होली महोत्सव) का आयोजन किया गया है। पूरे मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। राम जन्मभूमि मंदिर के साथ-साथ अयोध्या के सभी मंदिरों को सजाया गया है।
बुधवार शाम के कार्यक्रम की शुरुआत श्री रामलला की भव्य आरती के साथ होगी। आरती में मुख्य पुजारी के रूप में सर्वश्री सत्येंद्र दास, प्रेम दास, संतोष और अन्य पुजारी शामिल होंगे। '' इसके बाद भजन-संध्या का आयोजन किया गया है। इसके लिये कई प्रसिद्ध गायक-वादक आमंत्रित किये गये हैं। मंदिर के कपाट रात 12 बजे के बाद बंद कर दिये जायेंगे, पर भजन-कीर्तन का कार्यक्रम रात भर चलेगा। इस कार्यक्रम में सोहर गान की प्रधानता होगी। उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न अंचलों में बाल-शिशु के जन्म पर महिलायें सोहर गीत गाती हैं।
एक अधिकारी के अनुसार श्री रामलला के दर्शन के लिये नवरात्र में अब तक पूरे देश से एक लाख से ज़्यादा श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। बढ़ती गर्मी में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये दर्शनार्थियों के मार्गों में कालीन और दरियां बिछायी गयी है। गर्मियों में लोगों को पैदल चलने में आराम हो इसके मार्ग में पानी के छिड़काव की व्यवस्था है। अयोध्या में श्री राम से जुड़े कुल आठ हज़ार मंदिर हैं और सभी मंदिरों में इस साल भव्य आयोजन किया जा रहा है। श्रीराम जन्मोत्सव की खुशी में जगह-जगह भंडारे, कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिये इस बार की रामनवमी का विशेष महत्व है। इस बार इस पर्व को लेकर धार्मिक नगर में पहुंच रहे श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है। इसस पहले लोग इस पर्व को घरों में रह कर अपने-अपने तरीके इसका आयोजन करते थे। अयोध्या में पिछले वर्षों में रामनवमी पर सबसे बड़ा और भव्य आयोजन कनक मंदिर में किया जाता था। श्रीराम जन्मस्थल पर रामनवमी का आयोन शांतिपूर्वक सामान्य रूप से मनाया जाता था। इसके लिये पुजारियों को सरकार की ओर से केवल दो हजार रुपये के खर्च की स्वीकृति होती थी। उसी धन से रामलला विराजमान का वस्त्र- श्रृंगार तथा पूजा- प्रसाद का प्रबंध होता था।
रामजन्म स्थान पर अनुमानित 1800 करोड़ रुपये की परियोजना के अंतर्गत नवनिर्मित मंदिर में रामलला के नवनिर्मित विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी। प्राण-प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि थे। राममंदिर के निर्माण की खुशी में इस बार न केवल अयोध्या बल्कि देशभर में मंदिरों में अभूतपूर्व साज-सज्जा की गयी है और श्रद्धालु हर्षोल्लास, पूर्ण श्रद्धा और धार्मिक उत्साह के साथ मंदिरों में पहुंच रहे हैं।