स्नातन धर्म में शिवजी की बहुत आस्था की बहुत मान्यता है। उत्तराखंड से लेकर केदरानाथ से लेकर रामेश्वरम के रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक कई सारे बड़े-बड़े मंदिर हैं। देश के खोने-खोने से भक्त यहां शिवजी की आराधना करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं , लेकिन क्या आपको पता हैं कि ये दोनों ज्योतिर्लिंग देशांतर रेखा (longitude)पर हैं। इन दोनों ज्योर्लिंगों के बीच 5 ऐसे और शिव मंदिर हैं जो मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पंच तत्व यानी जल, वायु, अग्नि, आकाश और धरती का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कैसे एक सूत्र में बंधे हैं सातों मंदिर
उत्तराखंड के केदारनाथ, तमिलनाडु के अरुणाचलेश्वर, थिल्लई नटराज, जम्बूकेश्वर, एकाम्बेश्वरनाथ, आंध्रप्रदेश के श्रीकालाहस्ती शिव मंदिर अंततः रामेश्वरम् मंदिर को सीधी रेखा में स्थापित किया गया है। इन सभी मंदिरों को 79 डिग्री लॉन्गिट्यूड की भौगोलिक सीधी रेखा में बनाई गई है। इस रेखा को 'शिव शक्ति रेखा' के नाम से भी जाना जाता है। ये रेखा उत्तर से दक्षिण को जोड़ती है। बता दें इस सारे मंदिरों का निर्माण लगभग 4000 सालों पहले किया गया है, जबकि उस समय साइंस बिल्कुल भी विकसित नहीं थी, लेकिन फिर भी इन सभी मंदिरों को यौगिक गणना के आधार पर बनाया गया। इस रेखा की एक छोर पर जहां केदारनाथ धाम है, वहीं दक्षिण में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है। ऐसा क्यों है इसका जवाब साइंस के पास भी नहीं है...
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम का मंदिर 79.0669 डिग्री लोंगिट्यूड पर स्थित है। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर को महाभारत काल में पांडवों ने बनवाया था और फिर आदिशंकराचार्य ने इसकी पुनर्स्थापना करवाई थी।
श्रीकालाहस्ती मंदिर
शिव जी का ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में है। तिरुपति से 36 किमी दूर स्थित श्रीकालहस्ती मंदिर को पंचतत्वों में जल का प्रतिनिधि माना जाता है। यह मंदिर 79.6983 डिग्री E लांगिट्यूड पर स्थित है।
एकम्बरेश्वर मंदिर
ये मंदिर 79.42'00' E लांगिट्यूड पर स्थित है। यहां पर शिवजी को धरती तत्व के रूप में पूजा जाता है। इस खूबसूरत शिव मंदिर को पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया । इस मंदिर के शिवलिंग में जल की जगह चमेली का सुगंधित तेल चढ़ाया जाता है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर
79.0677 E डिग्री लांगिट्यूड पर स्थित इस मंदिर को तमिल साम्राज्य के चोलवंशी राजाओं ने बनाया था।
जम्बुकेश्वर मंदिर
ये मंदिर करीब 1800 साल पुराना है। इसके गर्भगृह (जहां पर शिवलिंग रखा है) में एक जल की धारा हमेशा बहती रहती है।
थिल्लई नटराज मंदिर
यह मंदिर 79.6935 E डिग्री लोंगिट्यूड पर स्थित है। इसका निर्माण आकाश तत्व के लिए किया गया है। यह मंदिर महान नर्तक नटराज के रूप में भगवान शिव को समर्पित है। नृत्य की 108 मुद्राओं का सबसे प्राचीन चित्रण चिदंबरम् में ही पाया जाता है।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
मान्यता है कि लंका पर चढ़ाई से पहले श्रीराम ने रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।