लोग चाहें तो पैसों के दम पर कुछ भी खरीद सकते हैं। लाेग महंगी- महंगी कारें या प्लेन को आसानी से खरीद लेते हैं लेकिन जब बात ट्रेन की आती है तो इसका मालिक बनना हर किसी के बस की बात नहीं है। हालांकि पंजाब का एक किसान अमृतसर से नई दिल्ली जाने वाले ट्रेन संख्या 12030 स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस का मालिक है। इस ट्रेन की सारी कमाई उनकी जेब में ही जाती है।
भारत के एकलौता व्यक्ति की संपत्ति में है ट्रेन
आपके मन में भी यही सवाल आ रहा होगा कि ट्रेन खरीदना कैसे संभव है, बता दें कि रेलवे की एक गलती के कारण इस किसान की किस्मत चमक गई और वह ट्रेन का मालिक बन गया। यह भी बता दें कि यह किसान एकलौता व्यक्ति है, जिसकी संपत्ति में ट्रेन शामिल थी। यह मामला है साल 2007 का जब चंडीगढ़ से लुधियाना के बीच रेल लाइन निर्माण की कवायद शुरू की गई थी।
भारतीय रेलवे पर सही मुआवजे ना देने का आरोप
इस लाइन के निर्माण के लिए लुधियाना जिले के कटाणा गांव के किसान संपूर्ण सिंह समेत कई किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। हालांकि संपूर्ण सिंह ने मुआवजे की रकम को पर्याप्त नहीं माना और उन्होंने भारतीय रेलवे पर सही मुआवजे ना देने के आरोप में कोर्ट में मुकदमा कर दिया। दरअसल रेलवे ने एक गांव में 25 लाख जबकि बगल के गांव में रेलवे ने 71 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन का अधिग्रहण किया। इतना बड़ा हेरफेर किसान को रास नहीं आया।
किसान ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
जब किसान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 50 लाख करने का आदेश दिया, लेकिन संपूर्ण सिंह तब भी नहीं माने। मामला और आगे बढ़ा तो कोर्ट ने मुआवजे की रकम बढ़ाकर 1 करोड़ 47 लाख रुपये कर दिया। संपूर्ण सिंह का मुआवजा 1.47 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन रेलवे ने महज 42 लाख रुपये की रकम का ही भुगतान किया, इसके खिलाफ संपूर्ण सिंह ने दोबारा मुकदमा कर दिया।
साल 2017 में आया बड़ा फैसला
जब रेलवे मुआवजे की रकम चुकाने में फेल रहा, तो मामला फिर से जिला और सत्र न्यायालय तक पहुंच गया। साल 2017 में न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने रेलवे के खिलाफ कार्रवाई का फैसला सुनाते हुए लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन नंबर 12030 को कुर्क करने का आदेश दे दिया। ट्रेन के साथ-साथ स्टेशन मास्टर के ऑफिस को भी कुर्की का आदेश दे दिया गया।
संपूर्ण सिंह ने नहीं रोकी ट्रेन
कोर्ट के आदेश के बाद ट्रेन पर अपना कब्जा लेने के लिए किसान अपने वकील के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचे, साथ ही अदालत का आदेश पत्र रेल ड्राइवर को सौंपा। हालांकि रेलवे के सेक्शन इंजीनियर ने ट्रेन को किसान के कब्जे में जाने से रोक दिया और बताया गया कि ये ट्रेन कोर्ट की संपति है। संपूर्ण सिंह तकनीकी रूप से स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक तो बन गए हैं, लेकिन उन्होंने ट्रेन को चलने दिया। उनका कहना है कि यात्रियों को परेशानी न हो इसलिए वह ट्रेन को नहीं रोकेंगे। किसान के वकील का कहना है कि मुआवजे की रकम नहीं मिली तो कोर्ट से कुर्क की गई रेलवे की संपत्ति की नीलामी की सिफारिश की जाएगी।