अक्सर महिलाएं को प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ तला-भुना और अनहेल्दी जंक जूड खाने का मन करता है। लेकिन इसके मां के स्वस्थय पर तो बुरा असर पड़ता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि महिलाओं को मन मार के रहने की जरुरत है। आप पंच धन खिचड़ी ट्राई कर सकती हैं। ये एक प्रोटीन युक्त आहार है, जिससे प्रेग्नेंट महिलाओं को कई सारे स्वस्थ से जुड़े फायदे मिलते हैं। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की भी प्रोटीन की जरुरत पूरी होती है। बता दें कि पंच धन खिचड़ी बनाने के लिए पांच धान का उपयोग किया जाता है। आइए आपको बताते हैं इसके बनाने की विधि मौजूदा है पंच धन खिचड़ी बनाने की रेसिपी और इससे मिलने वाले फायदे....
सामग्री
बासमती चावल- 1 कप
8 घंटे पानी में भीगी हुई हरी मूंग दाल- 2 बड़े चम्मच
8 घंटे पानी में भीगी हुई मसूर दाल- 2 बड़े चम्मच
8 घंटे भीगी हुई मटकी दाल- 2 बड़े चम्मच
8 घंटे भीगे हुए राजमा- 2 बड़े चम्मच -
8 घंटे भीगे हुए काबूली चना- 2 बड़े चम्मच
तेल- एक बड़ा चम्मच
कटे हुए प्याज- 3/4 कप
गरम मसाला- 1/2 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच
धनिया- 2 छोटे चम्मच
जीरा पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच
हल्दी
नमक स्वादानुसार
पिसे हुए नारियल- 4 बड़े चम्मच
अदरक-लहसुन का पेस्ट- 2 छोटे चम्मच
कटी हुई हरी मिर्च- 1/2 बड़े चम्मच
विधि
1.कूकर में तेल गर्म करें। गर्म तेल में प्याज को एक मिनट के लिए भूनें।
2.सभी जरूरी मसालें जैसे गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर, धनिया-जीरा पाउडर, हल्दी, नमक स्वादानुसार, और 4 कप पानी डालें।
3.सभी सामग्री को अच्छी तरह मिलाकर कूकर बंद कर दें।
4.3 सीटी आने तक पकने दें। भाप निकलने पर ढक्कन खोलें।
5.तैयार खिचड़ी में धनिया पत्ता डालें।
6.ताजी दही के साथ खाने के लिए सर्व करें।
प्रेग्नेंट महिलाओं को मिलते हैं पंच धन खिचड़ी से ये फायदे
प्रेग्नेंट महिला को प्रोटीन की बहुत जरूरत होती है। वैसे भी प्रोटीन शरीर के हर सेल्स में पाए जाते हैं जो कि स्किन, मांसपेशियां, बाल, नाखून और अन्य टिश्यू बनाने में उपयोगी है। प्रेगनेंट महिला के लिए प्रोटीन के अन्य फायदे :
नए और क्षतिग्रस्त ऊतकों की वृद्धि करता है।
उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एंटीबॉडी बनाता है।
हार्मोन और एंजाइम बनाता है। मांसपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करता है।
उनके रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन का संचार होता है।
वहीं पेट में पल रहे बच्चे को भी पंच धन खिचड़ी के प्रोटीन से बहुत लाभ मिलता है। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। साथ ही इससे बच्चे का विकास बेहतर होता है।