हर अत्याचार से मेरे अंदर की आग और बढ़ी. मेरी आवाज कोई नहीं दबा सकता जब तक जिंदा हूं लड़ती रहूंगी”... ये कहना है दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission For Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का, जो सैंकड़ों महिलाओ की आवाज बन चुकी है। जब-जब किसी महिला के साथ अत्याचार हुआ है तब- तब स्वाती ने ना सिर्फ आवाज उठाई है बल्कि उनके हक की लड़ाई भी लड़ी है और किसी हद तक वह कामयाब भी हो पाई है।
स्वाती को देखकर कोई सोच ही नहीं सकता कि वह भी कभी शोषण का शिकार हो चुकी है। बचपन में गुजारे उन खौफनाक दिनों को महिला आयोग की अध्यक्ष ने आज याद किया और दुनिया के बताया कि वह किस दर्द से गुजर चुकी है। महिला आयोग की ओर से आयोजित पुरस्कार समारोह में उन्होंने बताया- "जब मैं बच्ची थी तब वो मेरा यौन उत्पीड़न करते थे वह मुझे मारते थे, जब भी वो घर आते थो तो मुझे बहुत डर लगता था और मैं बिस्तर के नीचे छिप जाती थी"।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वह किसी और की नहीं बल्कि अपने पिता की बात कर रही है। उन्होंने बताया कि- बचपन में मेरे पिता मेरा यौन शोषण करते थे। इसकी वजह से मैं अपने ही घर में डर कर रहती थी। वो बिना वजह मुझे पीटते थे, चोटी पकड़कर सर दीवार पर टकरा देते थे। डर की वजह से मैंने कई रातें तो बिस्तर के नीचे छिपकर बिताई है।
स्वाती ने कहा- मैं कभी नहीं भूल सकती कि मेरे फादर को इतना गुस्सा आता था कि वो कभी भी मेरी चोटी पकड़कर मुझे दीवार पर टकरा देते थे, खून बहता रहता था, बहुत तड़प महसूस होती थी। मेरा ये मानना है कि जब एक इंसान बहुत अत्याचार सहता है तभी वो दूसरों का दर्द समझ पाता है। तभी उस इंसान के अंदर वो हिम्मत आती है जिससे वो पूरा सिस्टम हिला पाता है. शायद मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने आगे कहा- मेरी जिंदगी में मेरी मां, मेरी मौसी, मौसाजी और मेरे नानी-नानाजी न होते तो मुझे नहीं लगता कि मैं बचपन के उस ट्रॉमा से बाहर निकल पाती। न ही आपके बीच में खड़े होकर इतने बड़े-बड़े काम कर पाती। उन्होंने कहा- उस समय मैं ये सोचती थी कि महिलाओं को किस तरीके से हक दिलाना है. बच्चियों और महिलाओं को शोषण करने वालों को सबक सिखाऊंगी।