नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सनस्क्रीन हमारी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने के लिये ढाल की तरह काम करता है। हमारे रोज के स्किनकेयर रूटीन में इसे जरूर शामिल किया जाना चाहिये। आखिर यह यूवी किरणों को रोककर और उसे अवशोषित कर हमारी स्किन को सनबर्न से बचाता है, सनटैन और सूर्य से होने वाले नुकसान को कम करता है। लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी ऐसा ही मानते हैं कि सनस्क्रीन सिर्फ गर्मी के मौसम में लगाना जरूरी होता है, क्योंकि सर्दियों और मानसून के मौसम में सूरज ज्यादातर तो नजर नहीं आता। सूर्य की घटने की प्रकृति से ऐसा लगता है कि वह आँखों से ओझल हो गया जिससे हम मान लेते हैं सर्दियों और मानसून के दौरान सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं। तो अब समय है इसे परखने का। सच तो ये है कि सूर्य की हानिकारक किरणें हर समय मौजूद होती हैं, भले ही मौसम कोई भी हो।
सबसे अच्छा सनस्क्रीन चुनना और उसका सही इस्तेमाल
कोई भी सनस्क्रीन नहीं, बल्कि सबसे तीखी धूप से स्किन को डैमेज होने से बचाने के लिये हमें उसके कंपोजिशन, धूप से सुरक्षा की उसकी ताकत, विश्वसनीयता और ब्रेथ के आधार पर उसका चुनाव करना चाहिये। जब हम अच्छे सनस्क्रीन की तलाश कर रहे हों तो हमें यह देखना चाहिये कि वह ब्रॉडड-स्पेक्ट्रम वाला, धूप से बचाव के लिये अच्छा एसपीएफ 50 पी++ या एसपीएफ 30 पी++ हो और भारतीय मौसम के अनुसार कम से कम एसपीएफ 15 पी++ वाला हो। एक अच्छा सनसक्रीन नैचरल जिंक ऑक्साइड और क्रैनबेरी, सनफ्लावर, कैलेंडुला जैसी प्राकृतिक चीजों से युक्त होता है। इसके अलावा वह बिना चिपचिपाहट वाला, पसीना-रोधक और जल-रोधक लम्बे समय तक टिकने वाले फॉर्मूला के साथ हो। सनस्क्रीन चुनने से पहले ध्यान रखने वाली अन्य बातों में शामिल हैं पैराबीन, सिलिकॉन और क्रुएल्टी-फ्री फॉर्मूला।
इसके उचित उपयोग के बारे में बात की जाये तो सनस्क्रीन को बाहर निकलने से कम से कम 10 मिनट पहले लगाया जाना चाहिये और इसका ज्यादा से ज्यादा प्रभाव पाने के लिये हर दो घंटे में दोबारा लगाया जाना चाहिये। यहाँ तक कि यदि मेकअप का प्रयोग करना हो तो मेकअप लगाने के पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिये, उसके बाद मॉइश्चराइजर का। बेशक, कोई भी मौसम हो इस नियम का पालन किया जाना चाहिये।
यहां उन प्रमुख कारणों का विहंगावलोकन किया गया है, जिनकी वजह से पूरे साल सनस्क्रीन लगाना जरूरी होता है :
अच्छे सनस्क्रीन यूवीए और यूवीबी किरणों से बचाते हैं - अल्ट्रावाइलेट या यूवी किरणों के दो प्रकार होते हैं- अल्ट्रावाइलेट ए और अल्ट्रावाइलेट बी। यूवीए किरणें त्वचा में गहराई से प्रवेश करती हैं और झुर्रियों और त्वचा डिस्कलरेशन के कारण समय से पहले उम्र बढ़ने का कारण बनती हैं। दूसरी ओर, यूवीबी किरणें 'जलती हुई' किरणें हैं, जो सनबर्न पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। उपर्युक्त गुणों के साथ रोजाना एक अच्छा और प्रभावी सनस्क्रीन लगाने से इन दोनों हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा की जा सकती है।
सनबर्न कम हो जाता है - सूरज से सुरक्षा के बिना यूवी किरणों के अत्यधिक संपर्क से सनस्पॉट या एज स्पॉट जैसे लंबे समय तक बर्न रह जाते हैं, जिन्हें सही देखभाल के बावजूद कम होने में वक्त लग जाता है। सनस्पॉट चेहरे, हाथ, पीठ, कंधे और हाथों के पीछे जैसे हिस्सों में दिखाई दे सकते हैं। इसलिये, सनबर्न से बचाव के लिये अच्छा सनस्क्रीन लगाकर सावधानी बरतना बेहतर है।
स्किन को समय से पहल होने वाली एजिंग से बचाता है - सनसक्रीन के नियमित इस्तेमाल से स्किन को फोटोएजिंग से प्रभावी तरीके से बचाने और सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। यह सूरज की हानिकारक यूवी किरणों के लगातार संपर्क में आने की वजह से होता है। फोटोएजिंग के लक्षणों में शामिल है झुर्रियों का आना, पिग्मेंटेड, सूखी, खुरदुरी और त्वचा की असमान रंगत। इसके साथ ही त्वचा का लचीलापन भी खत्म हो जाता है।
स्किन की रंगत बनाये रखने में मदद करता है - सनस्क्रीन के इस्तेमाल के बिना सूरज की किरणों के संपर्क में आने से स्किन का रंग उड़ जाता है। धूप से बचाव किये बिना उसके संपर्क में आने से स्किन पर चकत्ते हो सकते हैं। इसलिये, घर से बाहर निकलते समय किसी को भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिये ताकि त्वचा की एकसमान रंगत को बनाये रखने के लिये हाइपरपिग्मेंटेशन से बचाया जा सके।
समाहार
सभी इस सोच में हैं कि क्या उन्हें पूरे साल सनस्क्रीन लगाना चाहिये, तो इसका जवाब है हां, हमेशा। जब भी लोग घर से बाहर निकलें, उन्हें अपनी त्वचा को प्राकृतिक रूप से जवां बनाये रखने और उसका सुख महसूस करने के लिये सही तरह का सनस्क्रीन इस्तेमाल करना चाहिए। (डॉ संचित शर्मा, फ़ाउन्डर् एंड डाइरेक्टर, अयूथवेदा)