संगीत की जब भी बात होती है स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। आज भले ही वह हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा गाए गए संगीत आज भी लोगों के द्वारा याद किए जाते हैं। बीते साल 6 फरवरी यानी आज के दिन ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। लता मंगेशकर कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से जुझ रही थी, जिसके बाद उन्हें मुंबई के अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया परंतु 6 फरवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको बताते हैं कि कैसे उन्होंने संगीत की दुनिया में अपना नाम कमाया था...
28 सितंबर को जन्मी थी लता मंगेशकर
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था। पहले उनका नाम हेमा था लेकिन जन्म के 5 साल बाद उनका नाम बदलकर लता रख दिया गया था। लता मंगेशकर के पिता स्वंय एक बहुत ही मशहूर गायक थे। उन्होंने लता को सिर्फ 5 साल की उम्र में ही संगीत सिखाना शुरु कर दिया था, लता जी के साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना के साथ भाई ने भी संगीत की शिक्षा ली थी। उनकी शुरुआत शिक्षा इंदौर में हुई थी।
शुरुआत से ही थी संगीत में दिलचस्पी
लता मंगेशकर को छोटी सी उम्र में ही पहली बार एक नाटक में काम करने का मौका मिला उनके काम की सराहना भी हुई लेकिन शुरुआत से ही उनकी दिलचस्पी संगीत की तरफ ही था। साल 1942 में लता के पिता की मौत हो गई उस समय लता सिर्फ 13 साल की ही थी। उस समय उन्हें पिता के दोस्त मास्टर विनायक की ओर से लता मंगेशकर को एक सिंगर के साथ-साथ एक्टिंग में भी काम मिला।
कई मुश्किलों का करना पड़ा सामना
उनके लिए शुरुआती समय काफी मुश्किलों भरा रहा इतनी शानदार आवाज होने के बावजूद भी शुरुआत में अपनी जगह बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा कई म्यूजिक डायरेक्ट तो उनकी पतली आवाज के कारण भी नाखुश थे वहीं कुछ लोगों ने कहा कि थोड़ी भारी आवाज लाओ। उस समय गायिका नूरजहां बहुत ही मशहूर थी जिसके चलते लता मंगेशकर की तुलना नूरजहां से भी की गई। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी अलग आवाज से इंडस्ट्री में अपनी एक खास जगह बनाई और वह कुछ सालों में ही एक बहुत ही फेमस सिंगर भी बन गई।
पहली बार 1958 में मिला था अवॉर्ड
लता मंगेशकर को पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड 1958 में फिल्म मधुमति के गाने आजा रे परदेसी के लिए मिला था। इस गाने को सलिल चौधरी ने कम्पोज किया था। इसके अलावा भारतीय संगीत की दुनिया में एक महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1969 में पद्म भूषण, 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1999 में पद्म विभूषण, 2001 में भारत रत्न और 2008 में भारत की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
36 भाषाओं में दे चुकी हैं आवाज
लता मंगेशकर ने सिर्फ हिंदी और उर्दू ही नहीं बल्कि सारे देश में 36 भारतीय भाषाएं जैसे मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़ा, बंगाली जैसी कई फिल्मों में अपनी आवाज दी है।
म्यूजिक डायरेक्टर और प्रोडक्शन के तौर पर भी कर चुकी हैं काम
एक मशहूर गायिका बनने के बाद लता मंगेशकर ने एक म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है। उन्होंने मराठी फिल्म राम राम पवहाने फिल्म की। इसके बाद उन्हें कई सारी मराठी फिल्मों के लिए भी काम किया है। इसके अलावा 1990 में लता ने अपना एक प्रोडक्शन हाउस भी शुरु किया था। प्रोडक्शन हाउस में उन्होंने कई फिल्में भी प्रोड्यूस की थी जिसे गुलजार ने निर्देशित किया था परंतु इसके बाद लता ने फिल्में प्रोड्यूस करना भी बंद कर दी थी।