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दिन में दो बार समुंद्र में ओझल होता है भगवान शिव का यह रहस्मयी मंदिर

  • Edited By neetu,
  • Updated: 25 Jul, 2020 01:10 PM
दिन में दो बार समुंद्र में ओझल होता है भगवान शिव का यह रहस्मयी मंदिर

भारत देश धार्मिक स्थलों से भरी भूमि है। इसमें देवी-देवताओं के रहस्य से जुड़े बहुत से मंदिर स्थापित है। यहां भगवान शिव 12 ज्योतिर्लिंग में यहां विराजमान है। इसके साथ ही उनके बहुत से मंदिरों के पीछे कई रहस्य और चमत्कार जुड़े है। ऐसे में ही गुजराज राज्य के बढ़ोदरा शहर में महादेव का एक ऐसा मंदिर है जो लोगों के द्वारा देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने से कुछ देर के लिए ओझल हो जाता है। उसके बाद अपने आप ही दिखाई देने लगता है। ऐसे में इस अद्दभुत मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते है। तो जानते है इस मंदिर के बारे में विस्तार से...

दिन में 2 बार होता है गायब 

इस मंदिर के बारे में बड़ी हैरानी वाली बात यह है कि यह मंदिर दिन में दो बार आंखों से ओझल या यूं कहे कि गायब हो जाता है। मगर इसके गायब होने के पीछे कोई चमत्कार नहीं बल्कि प्राकृतिक कारण माना जाता है। असल में, यह मंदिर पानी में स्थित है। ऐसे में जल का बहाव जब तेज होता है जब यह मंदिर पानी में डूब जाता है। फिर कुछ समय बाद अपने आप ही बाहर आ जाता है। ऐसा रोज सुबह व शाम बार होता है। कहा जाता है कि यहां समुंद्र द्वारा ही रोजाना शिवजी का जलाभिषेक किया जाता है। ऐसे में देश-विदेश से लोग इस चमत्कार या रहस्य को देखने आते है। जलाभिषेक के दौरान किसी को भी पानी में जाने की इजाजत नहीं होती है। ऐसे में सभी को दूर से खड़े होकर ही मंदिर के दर्शन करने पड़ते है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक कथा है। तो चलिए जानते उस कथा के बारे में...

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क्या है कथा?

स्कंद पुराण के अनुसार, ताड़कासुर नाम के राक्षस ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। ऐसे में उसकी भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। तब वर स्वरूप राक्षस ने उनसे अपनी मृत्यु से जुड़ा ऐसा वर मांगा कि उसकी मौत सिर्फ शिव पुत्र से ही हो। इसतरह भगवान शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे तो उन्होंने उसे वह वरदान दे दिया। उसके बाद उसने ब्रह्मांड में अपनी दहशत फैला दी। सभी देवी-देवाताओं को तंग करने लगा। उसे युद्ध करने पर भी कोई उसे मारने में सक्षम नहीं था। ऐसे में शिवजी और माता पार्वती के तेज से कार्तिकय का जन्म हुआ। उसका पालन-पोषण कृतिकाओं द्वारा किया गया था। उसके बाद सभी को ताड़कासुर के उत्पात से मुक्ति दिलाने के लिए बालरूप कार्तिकेय ने ताड़कासुर से वध कर उसे मार दिया। मगर जब कार्तिकेय इस बात का पता चला कि ताड़कासुर शिवभक्त था तो वह पश्चाताप में जलने लगा। तब देवताओं के द्वारा मार्गदर्शन करने पर उसने ही सागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की। उसके बाद यही स्तंभ आज विश्वभर में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

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कैसे पहुंचा जाए?

भगवान शिव के इस चमत्कारी मंदिर पर पहुंचने के लिए गुजरात के वढ़ोदरा से करीब 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील में स्थापित है। इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर सड़क, रेल और हवाई मार्ग आदि से पहुंचा जा सकता है।
 

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