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148 साल बाद शनि जयंती पर लग रहा सूर्य ग्रहण, दिखेगा Ring Of Fire

  • Edited By neetu,
  • Updated: 09 Jun, 2021 02:32 PM
148 साल बाद शनि जयंती पर लग रहा सूर्य ग्रहण, दिखेगा Ring Of Fire

इस साल का सूर्य ग्रहण 10 जून 2021, दिन गुरूवार को लगेगा। इस दिन शनि जयंती की शुभ तिथि भी है। फिर सूर्य देव और शनिदेव का संबंध पिता और पुत्र का है।  साथ ही दोनों में हमेशा मतभेद पाए जाते हैं। बात सूर्य ग्रहण की करें तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अशुभ माना जाता है। मगर फिर भी इस खगोलीय घटना को देखने के लिए बैज्ञानिक व लोग उत्सुक रहते हैं। इस साल का यह सूरेय ग्रहण लयाकार सूर्य ग्रहण कहलाएगा। इसमें चंद्रमा सूर्य को इस तरह से ढकेगा जिससे सूर्य का बाहरी हिस्सा एक छल्ला यानि रिंग की तरह चमकता दिखाई देगा। ऐसे में यह नजारा देखने में बेहद ही अद्भुत नजर आएगा। तो चलिए जानते हैं सूर्य का समय और इससे जुड़ी खास बातें...

सूर्य ग्रहण का समय 

सूर्य ग्रहण 10 जून 2021, दिन गुरुवार को दोपहर 1:42 मिनट से लेकर शाम 6:42 मिनट तक लगेगा। 

इस देशों में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण

यह भारत के सिर्फ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा। मगर उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, उत्तरी कनाडा, यूरोप और एशिया में, ग्रीनलैंड और रुस के अधिकांश हिस्सों में यह नजर आएगा। वहीं कनाडा, ग्रीनलैंड तथा रूस में वलयाकार यानि Ring Of Fire सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। इसके अलावा उत्तर अमेरिका के अधिकतर हिस्सों, यूरोप और उत्तर एशिया में आंशिक रूप से सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। 

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148 साल बाद अद्भुत संयोग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस साल सूर्य ग्रहण व शनि जयंती एक ही दिन पड़ रही है। वहीं यह तिथि आज से 148 साल देखने को मिली है। ऐसे में इस साल में लगने वाले इस ग्रहण में अद्भुत योग भी बनेगा। मगर चंद्रग्रहण की तरह इसका असर देखने को नहीं मिलेगा। 

भारत में सूतक काल मान्य नहीं 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भारत में सूर्य ग्रहण आंशिक रुप से लगेगा। यह भारत के कुछ ही भाग में नजर आएगा। ऐसे में यहां पर कोई सूतक काल नहीं माना जाएगा। 

यह है वलयाकार सूर्य ग्रहण 

वलयाकार सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। इस समय आसमान में सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है। असल में, चंद्रमा जह सूर्य के पूरे भाग को अपनी छाया से ढक लेता है तब सिर्फ सूर्य का बाहरी भाग चमकता दिखाई देता है। ऐसे में सूरज के किनारों पर एक छल्ला यानि रिंगसी बन जाती है। यह नजारा वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है। वैसे यह ज्यादा साफ नजर नहीं आता है। 

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सूर्य ग्रहण लगने के वैज्ञानिक कारण

सूर्य सूौरमंडल के ठीक बीच होता है और बाकी के सभी ग्रह इसके चारों और चक्कर लगाते हैं। इन ग्रहों के उपग्रह भी होते हैं। जो अपने-अपने ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा माना जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच आकर सूर्य को ढक लेता है। इस दौरान सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। यह स्थिति सूर्य ग्रहण कहलाती है। 

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