न्याय के देवता शनिदेव को ही कर्मों का फलदाता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव हर किसी को उनके कर्मों के मुताबिक, फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति पर अपनी असीम कृपा दृष्टि बनाते हैं तो वहीं बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को दंड भी देते हैं। जुलाई माह की 12 तरीक को शनि राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। वक्री चाल चलते हुए शनिदेव कुंभ राशि में से निकलकर मकर राशि में आ जाएंगे। वक्री शनि का गोचर सारी राशियों को प्रभावित करेगा। शनि के राशि परिवर्तन का असर उन राशियों पर खास पड़ेगा, जिन पर पहले से ही शनि साढ़े साती या फिर शनि ढैय्या चल रही हो।
इन 2 राशियों की खत्म होगी शनि ढैय्या
अभी शनिदेव कुंभ राशि में विद्यमान है, जिसके कारण कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। 29 अप्रैल से इन राशियों पर शनि ढैय्या शुरु हुई थी और मिथुन और तुला राशि से शनि ढैय्या समाप्त हुई थी। जबकि दोबारा से वक्री शनि के मकर राशि में आने से इन दो राशियों पर शनि ढैय्या शुरु हो जाएगी। इसके अलावा कर्क और वृश्चिक राशि वालों को शनि ढैय्या से राहत मिलेगी।
कर्क-वृश्चिक राशि के जातकों को मिलेगी सफलता
12 जुलाई को जैसे ही शनिदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो कर्क और वृश्चिक राशि से शनि ढैय्या समाप्त हो जाएगी। इसके बाद इस राशि के जातकों को कार्यों में सफलता मिलने लगेगी, रुका हुआ धन वापस मिल जाएगा, तनाव और किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट कम होगा। व्यापार में वृद्धि होगी, प्रमोशन मिलेगा, इंक्रीमेंट हो सकता है। यदि आपका कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी है तो बहुत लाभ होगा। आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय भी अवश्य करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
. आप रत्न नीलम, जामुनिया, कटेला सवा पांच रत्ती धारण कर सकते हैं। इन रत्नों को किसी पंचधातु में जड़वा लें और शनिवार के दिन किसी ब्राह्मण को घर में बुलाकर रत्न की शोडषोपचार पूजा और प्राण प्रतिष्ठा करवाकर धारण करें। यदि आप प्राण प्रतिष्ठा नहीं करवा सकते तो आप रत्न को रात में गाय के कच्चे दूध में रख दें और सुबह गंगा जल में से धोकर धारण कर लें।
. पीपल की पेड़ के नीचे शाम को दीया जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। इसके अलावा कुत्ते को सात लड्डू खिलाएं। ऐसा करने से शनिदेव आपको अनुकूल फल देंगे।
. काले रंग की नाल से मध्यमा उंगली के नाप के बराबर अंगूठी बनवा लें। सारी रात के लिए अंगूठी को कच्चे दूध में भिगो दें। सुबह उठकर पूरी श्रद्धा के साथ दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में पहन लें।
. शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र के दौरान बिछुवा बूटी की जड़ और शमी की जड़ को किसी काले धागे में बांध लें। फिर इस काले धागे को अपनी दाहिनी भुजा में पहन लें।
. शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में तेल भरें और उसमें 7 काले चने के दाने डाल दें। इसके अलावा इसमें 7 जौ के, 7 काली उड़द की दाल के और उसमें सवा रुपये रखें। उस बर्तन में अपना मुंह देखकर दान कर दें या फिर बर्तन किसी शनि मंदिर में रख दें।