पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती यह कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी। इस कहावत को सच्च करते हुए देश के कई दिग्गज कलाकारों ने अपना पढ़ने का सपना पूरा करते हुए लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है। अब उन्हें दिग्गज कलाकारों में शम्मी कपूर के बेटे आदित्य राज कपूर भी शामिल हो गए हैं। आदित्य ने 67 साल की उम्र में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। आदित्य ने फिलोसिफी विषय में ग्रेजुएट होकर डिग्री की तस्वीर फैंस के साथ शेयर की है। इसके बाद उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में अपनी ग्रेजुएशन पर भी बात की है।
इंटरव्यू में जाहिर की ग्रेजुएट होने की खुशी
आदित्य ने हाल ही में एक नामी वेबसाइट को इंटरव्यू दिया है। इस दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें फिलॉसिफी में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। यह डिग्री उन्हें इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से मिली है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि - 'मेरे पास पढ़ाई करने के मौके थे लेकिन मैंने कभी उनकी ओर नहीं देखा। इन कुछ सालों में मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन यह काफी नहीं था जब मैंने अपने अंदर खालीपन महसूस किया तब मुझे शिक्षा के असली महत्व पता चला। दो हफ्ते पहले मैं 59.67% नंबरों के साथ पास हुआ। फिलॉसिपी ऑनर्स में मैं सेकेंड क्लास पास हुआ। ईगनु (इंदिरा गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी) बहुत सपोर्टिव रहा है। गोवा में उनके रिजनल डॉयरेक्टर हैं वो बहुत ही हेल्पफुल हैं। हालांकि आदित्य ने फिलॉसिपी में मास्टर डिग्री के लिए अपना नाम नहीं लिखवाया है।'
मां के लिए की ग्रेजुएशन
आदित्य ने आगे बताया कि - 'उनकी इस उपलब्धि पर उनका परिवार बहुत खुश और एक्साइटेड हैं। मैंने ये अपनी मां गीता बाली के लिए यह किया है ये सब मेरे गुरु का प्रभाव है। मेरे गुरु भोले बाबा वह चाहते थे कि मैं अलग बनूं तो मैं बन गया।'
बेटी ने किया प्रोत्साहित
आदित्य ने इस दौरान बताया कि उन्हें बहुत देर से इस बात का एहसास हुआ कि पढ़ाई कितनी जरुरी है जिसके बाद उनकी बेटी तुलसी ने उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने पढ़ाई की।
इस उम्र में शुरु किया पढ़ना
इस दौरान आदित्य ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने 61 की उम्र में दोबारा पढ़ाई शुरु की। इस उम्र में उन्हें कॉमर्स या फिर बिजनेस की डिग्री की जरुरत नहीं थी भूगोल में दिलचस्पी नहीं थी। वहीं जब उनसे विषय चुनने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि - 'पिछले कुछ सालों में अस्तित्व में बने रहने के मेरे संघर्ष ने जिस चीज में मुझे आकर्षित किया है वह है मनुष्य का विचार, मनुष्य वैसा क्यों सोचता है जैसा वह सोचता है उसे क्या सोचने पर मजबूर करता है यह और मेरा आध्यात्मिक अनुभव ही मुझे दर्शन के द्वार तक ले गया।'