क्या आपको पता है कि भारतीय महिलाएं ज्यादातर अपने जज्बात दबा कर ही रखती हैं। उन्हें बचपन से सिखाया जाता है कि घरवालों के हिसाब से ही चलो वरना नाक कट जाएगी। इसलिए ज्यादातर भारतीय महिलाएं अपनी सोच, अपनी चाहत खुद तक ही रखकर परिवार की खुशी के साथ आगे बढ़ती हैं। कुछ ऐसा ही बचपन से सिखाया गया था हरियाणा के छोटे से शहर हिसार में रहने वाली गीता को। पढ़ने में बेहद होशियार गीता के गांव के सभी लड़कियों की शादी 18 साल होते- होते कर दी जाती है, लेकिन गीता तो शहर जाकर नौकरी करना चाहती थी। इसलिए 12वीं क्लास के बाद बहुत जिद करके उसने अपने मां-बाप को मनाया और kurukshetra University से multimedia का कोर्स किया। घरवाले अभी भी लड़के देखने के जिद कर रहे थे, लेकिन लड़की का पढ़ाई में लगता मन और अच्छे मार्क्स देखकर वो पिघले और नौकरी करने की इजाजत दे दी।
गीता घरवालों के मिले इस सपोर्ट से बहुत खुश थी और निकल पड़ी जॉब की तलाश में दिल्ली। यहां पर बहुत जल्द उसे अच्छे पैकेज में जॉब मिल गई। फिर क्या था, गीता के तो जैसे सारे सपने पूरे हो गए थे। वो अपने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा करना चाहती थी, लेकिन यहां पर वो ऐसा कुछ कर बैठी, जिसके लिए उसके घरवालों से सख्त माना किया था। वो ऑफिस में काम करते एक लड़के अमित से दिल लगा बैठी।
गीता को उसके साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा। वो हर वक्त साथ रहते और फोन भी बात करते। ऐसे में जब गीता की घर आने की रूचि कम हुई और उसका फोन भी ज्यादा बिजी रहने लगा तो गीता की मां ने कड़ाई से उससे सवाल किया। गीता मां से झूठ नहीं बोलना चाहती थी, वो टूट गई और अमित और अपने रिश्ते के बारे में सब कुछ बता दिया। फिर क्या था? मां के साथ पिता का भी भरोसा बेटी पर से उठ गया। उन्होंने सिर्फ एक चीज मांगी थी, वो ये की बेटी अपनी मर्यादा न भूले और लड़कों के चक्कर में ना पड़े।
गीता ने बहुत समझने की कोशिश करी की लड़का अच्छा है, कमाता भी अच्छा है और वो खुश रहेगी लेकिन मां-बाप गीता की अब एक सुनने को तैयार ना थे। उन्होंने अमित को फोन कर गीता से दूर रहने की सलाह दी और पुलिस तक की धमकी दे दी। इधर उन्होंने गीता के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया। नौकरी छुड़वा दी। गीता पूरी तरह से टूट गई थी, उसके सारे सपने खत्म हो गए। वो समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे, लेकिन मां-बाप की गुस्से के आगे कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।
देखते-देखते ऐसे ही एक महीना बिता और गीता की शादी पड़ोस के गांव के लड़के रोहित से तय कर दी गई। मां-बाप की नारजगी देखते हुए गीता ने अपने करमान दिल में ही दबे रहने दिए और अमित को भूल जाना ही बेहतर समझा। उसने रोहित को ही अपनी किस्मत समझ लिया। बहुत जल्दी अब गीता रोहित की दुल्हन बन जाएगी और चाहे आज भी वो अमित से ही प्यार करती है, लेकिन अपने मां-बाप की खातिर अपने जज्बात दिल में ही दबा लेगी।