महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। कहते हैं यहां आने वालों की झोली कभी खाली नहीं जाती। हाल ही में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ महाकाल के दर्शन करने पहुंचे थे। कपल ने सुबह 4 बजे की महाकाल आरती में भी हिस्सा लिया। ये ही नहीं, इससे पहले केएल राहुल- अथिया और अनिल अंबानी भी महाकाल की शरण में पहुंचे थे। माना जाता है कि उज्जैन 5000 साल पुराना शहर है। जिसे अवंती, अवंतिका, नंदिनी और अमरावती के नाम से जाना जाता है। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े ऐसे कई तथ्य हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है।
उज्जैन के राजा हैं महाकाल
महाकाल को उज्जैन के राजा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां कोई भी रात भर भी टिक नहीं पाया। कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति ने ये दुस्साहस करने की कोशिश की उसकी अकस्मात मौत हो गई। बता दें, कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते हैं।
जब धरती फाड़ कर प्रकट हुए महाकाल
पौराणिक कथा के अनुसा वेद प्रिय नाम का एक ब्राह्रण अवंती नामक नगर रहता था। वो शिव का परम भक्त था। प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर बाबा की पूजा करता था। नियमित रूप से धार्मिक कर्मकांड के कामों में उसकी विशेष रूचि थी। एक बार दूषण नामक राक्षस नगर में आया और लोगों को धार्मिक कार्य करने से रोकने लगा। राक्षस को ब्रह्मा जी से विशेष वरदान प्राप्त था। इसी कारण उसका आतंक बढ़ता गया। राक्षस की पीड़ा से दुखी होकर सभी ने शिव से रक्षा के लिए विनती की।
शिव की हुंकार मात्र से भस्म हुआ राक्षस
भोलेनाथ ने नगरवासियों को राक्षस के अत्याचार से बचाने के लिए पहले उसे चेतावनी दी। जब राक्षस पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उसने नगर पर हमला कर दिया। भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए। शिव ने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया। भक्तों की वहीं रुकने की मांग से अभिभूत होकर भगवान वहीं रुक गए और लिंग के रूप में यहां प्रतिष्ठित हो गए।
इसलिए कहते हैं मृत्युंजय महादेव
श्री महाकालेश्वर को पृथ्वी लोक का राजा कहा जाता है। वह प्रलय, संहार और काल के देवता हैं। वे मृत्यु के मुंह में गए प्राणी को खींचकर वापस ला देते हैं, इसलिए उन्हें मृत्युंजय महादेव कहा जाता है।
अलग-अलग रूपों में भक्तों को देते हैं दर्शन
यहां महाकाल अपने भक्तों को कई रूपों में दर्शन देते हैं। जैसे शिवरात्रि पर उनका श्रृंगार दूल्हे के रूप में किया जाता है तो श्रावण मास में वो राजा धिराज बनते हैं। इतना ही नहीं दिवाली में महाकाल का आंगन दीपों से सजाया जाता है, वहीं होली में आंगन रंग और गुलाल से रंग जाता है। महाकाल का रूप जो भी हो, उनका हर रूप भक्तों को मोहित कर देता है।