हिंदू धर्म में मांग टीके का विशेष महत्व है। दुल्हन जब सोलह श्रृंगार करती हैं तो इसे भी जरूर पहनती है। मांग टीका पहनने सुहाग की निशानी माना जाता है। मांग में सिंदूर और उसके ऊपर मांग टीका पहनने से दुल्हन की सुंदरता में निखार आता है। लेकिन क्या आपको पता है सिर्फ सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि इसका एक धार्मिक महत्व भी है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में...
मांग टीका का हिंदू धर्म में महत्व
शादीशुदा महिलाएं मांग के बीच में टीका पहनती हैं। टीका मांग और माथे के बीचों- बीच पहना जाता है। मांग टीके को माथे के बीच में पहनने के पीछे मान्यता है। वेदों में कहा गया है कि महिलाएं जब श्रृगांर करें तो उन्हें सबसे पहले मांग टीका धारण करना चाहिए। मांग में पहना जाने वाला ये टीका पति के द्वारा लगाए गए सिंदूर की रक्षा करता है। ये टीका माथे पर लटकता हुआ दोनों भवों के बीच में पहुंचता है। जहां पुरूष तिलक लगाते हैं, इसलिए इसे मांग टीका कहा जाता है। महिला के माथे में लगा मांग टीका सिंदूर का रक्षक होता है। ये ही वजह है कि सुहागिन महिलाएं इसे जरूर पहनती हैं।
सोहल श्रृंगार में है मांग टीके का महत्व
दुल्हन के श्रृंगार में ससुराल की तरफ से गहनों में मांग टीका भी होता है। माथे पर टीका न सिर्फ सुहाग की निशानी है बल्कि मांग में सजा टीका दुल्हन की खूबसूरती में चार- चांद लगा देता है।
मांग टीका पहनने के पीछे है वैज्ञानिक महत्व
मांग टीका पहनने के पीछे धार्मिक के अलावा वैज्ञानिक कारण भी है। इससे मानसिक तनाव, सिर दर्द और कई तरह की मानसिक समस्याएं दूर होती है। कहा जाता है कि मांग टीका पहनने से महिलाओं के शरीर का तापमान भई नियंत्रण में रहता है और उनकी सूझ- बूझ और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।