जब भी बात करियर में किसी क्षेत्र को चुनने की आती है तो महिलाएं ज्यादातर टीचिंग लाइन, फैशन लाइन और या फिर वह खान-पान की लाइन में जाती है। चाहे समाज आज आगे बढ़ चुका हो लेकिन फिर भी महिलाओं को उसी लाइन को चुनने की सलाह दी जाती है जिसमें वह सुरक्षित हो। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताते हैं जिसने इन क्षेत्रों से ऊपर जाकर एक ऐसी लाइन को चूज किया जो एक पुरूष के लिए भी खतरे से खाली नहीं है। दरअसल हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला जासूस की। अब आपके मन में एक ही सवाल आ रहा होगा आखिर किस कारण इस महिला ने ऐसा काम चुना जिसमें वो ही सुरक्षित नहीं है।
तो चलिए आपको आज भारत की पहली महिला जासूस की कहानी से अवगत करवाते हैं।
हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम है रजनी पंडित। जो कि महाराष्ट्र में जन्मी हैं और वहीं पली बढ़ी हैं। लेकिन आखिर रजनी के दिमाग में ऐसा क्या ख्याल आया कि उन्होंने इस लाइन में जाने की सोची।
कभी नहीं सोचा था इस लाइन में आउंगी: रजनी
रजनी ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इस लाइन में आएंगी और नाम कमाएंगी। वह बाकी महिलाओं की तरह ही नौकरी करना चाहती थी और पैसे कमाकर घर चलाना चाहती थीं। वह पढ़ाई में भी ठीक ठाक थी।
इस तरह शुरू हुई कहानी
जासूस बनने की सारी कहानी तब शुरू हुई जब रजनी कॉलेज में थी और उन्होंने अपनी ही सहेली पर जासूसी की थी। एक वेबसाइट के साथ बातचीत में रजनी बताती हैं कि एक बार उनकी दोस्त किसी से फोन पर बातें करती थी लेकिन रजनी ने भांप लिया था कि वह ठीक लोगों के साथ बात नहीं करती है। होना क्या था इसी से रजनी के अंदर का जासूस जाग उठा और उन्होंने अपनी ही सहेली का पीछा करना शुरू किया तो उन्हें पता लगा कि वह गलत लोगों से मिलती है।
सहेली के घर शिकायत कर दी शिकायत
रजनी अपनी जिस दोस्त का पीछा कर रही थी तो उन्होंने इस बारे में उसके परिवार वालों को बताया तो जायज सी बात है उनकी सहेली उन से नाराज हो गई और उन्हें भला बुरा भी सुनाया हालांकि रजनी के लिए तो यह जासूस के क्षेत्र में पहला कदम था। इसी के बाद रजनी ने इस बात को ठान लिया कि वह इसी लाइन में आगे जाएंगी।
पिता थे CID में लेकिन ...
रजनी के पिता भी कहीं न कहीं इसी क्षेत्र से जुड़े थे। वह खुद तो CID में थे लेकिन यह कभी नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी जासूसी करे। देखा जाए तो एक महिला होने के नाते रजनी की जिंदगी में भी परेशानियां बढ़ती गई थीं। हालांकि रजनी ने कुछ भी करके पिता को तो मना लिया। लेकिन उस समय वह इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि वह वहली डिटेक्टिव हूंं।
मां ने हमेशा बढ़ाया हौसला
रजनी की इस सफलता में सबसे बड़ा हाथ उनकी मां का है क्योंकि उनकी मां ने समय समय पर उन्हें सपोर्ट किया और कहा कि वह जो करना चाहती है करे और आगे बढ़े। लेकिन रजनी को लोगों की बातें भी सुननी पड़ी और रिश्तेदारों के ताने भी सुनने पड़े।
बनाई खुद की रजनी इन्वेस्टिगेशन्स नाम की कंपनी
एक महिला होने के कारण रजनी के रास्ते में कईं मुसीबतें आईं। इस काम के लिए तो कोई अखबार वाले उनका विज्ञापन तक भी नहीं छापते थे लेकिन फिर भी रजनी ने कदम पीछे नहीं किए। इसके बाद रजनी ने फुल टाइम इस काम को करने का सोचा और जब वह इसके लिए पूरी जांच पड़ताल करने के लिए गई तो उन्हें पता लगा कि इस काम के लिए उन्हें किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं चाहिए। जिसके बाद रजनी ने इस लाइन में 3 साल तक काम किया और फिर इसके बाद अपनी खुद की कंपनी खोली। हालांकि उस समय इस कंपनी के साथ सिर्फ 3 लोग जुड़े थे लेकिन देखते ही देखते लोग बढ़ गए। खबरों की मानें तो रजनी अभी तक 80 हजार से ज्यादा केस सुलझा चुकी हैं।
नाम कर चुकी हैं कई अवॉर्ड
रजनी ने इसी काम में सफलता पाई और वह पहली महिला जासूस बन गई। इसके लिए उन्हें कईं अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं। इतना ही नहीं रजनी को 30 साल से कमय समय में ही 67 अवॉर्ड मिल चुके हैं। वहीं रजनी को राष्ट्रपति कोविंद से 'फर्स्ट लेडी डिटेक्टिव' का अवॉर्ड भी मिल चुका है। यह अवॉर्ड उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से दिया गया।
लोग देते थे ताने
यह सफर रजनी के लिए आसान नहीं था। लोग कहते थे कि जो औरत लोगों का घर तोड़ रही है उसे क्या अवॉर्ड देना चाहिए लेकिन बावजूद इसके रजनी ने किसी की बातों को अपन उपर हावी नहीं होने दिया और यही कारण है कि आज सफलता उनके कदमों में हैं।