नारी डेस्क : दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 400 से भी ऊपर पहुंच चुका है। ऐसे गंभीर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डॉक्टर्स लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि इतना खराब प्रदूषण मां और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों पर गहरा असर डाल सकता है।
दिल्ली फिर बना गैस चैंबर
सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर जैसी स्थिति में पहुंच गई है। कई इलाकों में AQI का स्तर 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जिसे “सीवियर कैटेगरी” माना जाता है। डॉक्टरों के अनुसार इतनी जहरीली हवा का असर गर्भवती महिलाओं पर बेहद खतरनाक होता है। इस स्थिति में प्री-टर्म डिलीवरी (37 हफ्ते से पहले बच्चा जन्म लेना), कम वजन वाले बच्चे का जन्म, स्टिलबर्थ और गर्भपात जैसे गंभीर जोखिम तेजी से बढ़ जाते हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर यह प्रदूषण गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे को कैसे प्रभावित करता है और इससे बचने के लिए कौन-से कदम जरूरी हैं।

गर्भवती महिला और भ्रूण पर प्रदूषण के खतरे
सर्दियों में अस्पतालों में खांसी, दमा और सांस की समस्या वाले मरीजों की भीड़ बढ़ जाती है। लेकिन सबसे ज़्यादा छिपा हुआ नुकसान उस बच्चे को होता है जो अभी मां के गर्भ में है।
कम वजन वाले बच्चे का खतरा बढ़ता है
American Pregnancy Association के अनुसार सामान्य बच्चे का वजन 6 से 9 पाउंड के बीच होता है। 5 पाउंड 8 औंस से कम वजन वाले बच्चे को “लो बर्थ वेट” कहा जाता है। शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषित हवा में सांस लेने से यह जोखिम काफी बढ़ जाता है। हवा में मौजूद जहरीले कण प्लेसेंटा तक पहुंचकर बच्चे की ग्रोथ को प्रभावित कर सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर और अस्थमा का खतरा (High blood pressure and Asthma risk)
प्रदूषण में मौजूद जहरीले कण गर्भवती महिलाओं के शरीर पर तेजी से असर डालते हैं। ऐसी हवा लगातार सांसों के जरिए अंदर जाने से हाई ब्लड प्रेशर, सांस फूलना और अस्थमा का अटैक जैसी समस्याएं ट्रिगर हो सकती हैं। जब मां की सेहत प्रभावित होती है, तो इसका सीधा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंचता है, जिससे बच्चे के विकास में रुकावट और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चे में आगे चलकर अस्थमा का रिस्क
कई शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण के संपर्क में आने वाले बच्चों में आगे चलकर अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं का खतरा अधिक बढ़ जाता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण भ्रूण के फेफड़ों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे जन्म के बाद उनकी श्वास प्रणाली ज्यादा संवेदनशील हो जाती है और बच्चे बड़े होते-होते सांस की दिक्कतों के प्रति अधिक कमजोर पड़ सकते हैं।

प्रेग्नेंसी (Pregnancy) में प्रदूषण से बचने के जरूरी तरीके
अपने और अपने बच्चे की सेहत सुरक्षित रखने के लिए गर्भवती महिलाओं को नीचे दिए गए उपाय जरूर अपनाने चाहिए।
घर में ही रहें (Stay Indoors) : पीक पॉल्यूशन टाइम, जैसे सुबह और शाम के समय, बाहर जाने से बचें। गंभीर प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को जल्दी प्रभावित करता है।
भरपूर पानी पिएं: शरीर हाइड्रेट रहने से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और खांसी–गले की जलन कम होती है। पानी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
N95 मास्क जरूर पहनें: अगर बाहर जाना पड़े तो केवल N95 या अच्छी क्वालिटी का मेडिकल मास्क पहनें। यह हवा में मौजूद PM2.5 और अन्य जहरीले कणों को काफी हद तक रोकता है।
घर की हवा को शुद्ध रखें: घर में एयर-प्यूरीफायर का प्रयोग करें, इंडोर प्लांट लगाएं और खराब AQI के समय खिड़कियां बंद रखें। इससे घर का वातावरण सुरक्षित बना रहता है।