बेशक होली मस्ती का दिन है लेकिन होली की भागदौड़ में कुछ खास सावधानियां बरतना बेहद जरूरी हो जाता है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए। कई गर्भवती महिलाएं सोचती हैं कि उनके लिए होली खेलना सुरक्षित नहीं लेकिन जरूरी नहीं कि आपको सेलिब्रेशन से दूर ही रहना पड़े। गर्भावस्था के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखते हुए आप होली का लुफ्त उठा सकती हैं। आज अपने इस पैकेज हम आपको यही बताएंगे कि गर्भवती महिलाओं को होली खेलते समय किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है।
हर्बल रंगों के साथ खेलें
रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचें क्योंकि इनमें कॉपर सल्फेट, लेड ऑक्साइड और मरकरी जैसे हानिकारक पदार्थ होते हैं। ये रसायन त्वचा, श्वसन और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं, ये रंग रक्त प्रवाह के माध्यम से भ्रूण को प्रभावित कर सकते हैं।
गुलाल का प्रयोग करें
गर्भवती महिलाओं को गुलाल और अबीर जैसे सूखे रंगों से होली खेलनी चाहिए। आप घर पर भी नेचुरल कलर तैयार कर सकती हैं जो आपकी त्वचा के लिए भी फायदेमंद होंगे।
तला हुआ भोजन ना खाएं
मसालेदार स्नैक्स, चाट, भांग लस्सी में निकोटीन होता है जो प्रेग्नेंट वुमन के लिए सही नहीं। वहीं आप घी की मिठाई, कैफीन युक्त पेय आदि से भी दूर रहें क्योंकि इससे पेट खराब और अपच की समस्या हो सकती है।
बड़ी भीड़ और पानी से बचें
गर्भवती महिलाएं भीड़-भाड़ से दूर रहें क्योंकि इससे दम घुट सकता है। वहीं, पानी वाली होली या गीली जगहों से भी दूर रहें क्योंकि इससे फिसलने का डर रहता है। इसके अलावा होली पर डांस करने से भी बचें।
नाक और मुंह ढकें
रासायनिक रंगों से बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाएं। साथ ही ध्यान रखें आंखों पर कलर ना जाए। साथ ही पानी वाली होली ना खेलें।
डाइट का भी रखें ख्याल
होली की मस्ती महिलाएं अक्सर खान-पान की अनदेखी कर देती हैं लेकिन अपनी डाइट का ख्याल रखें क्योंकि आपके ऊपर नन्हीं जान भी जिम्मेदारी है। हैल्दी भोजन लें और भरपूर पानी पीएं। साथ ही अपनी दवाइयां समय पर लेना ना भूलें।
कोरोना का भी रखें ध्यान
होली की खुशी में कोरोना वायरस से बचाव के तरीके अपनाना न भूलें। भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूरी बनाकर रखें, मास्क लगाएं और गले-व हाथ मिलाने से भी बचें।
IVF ट्रीटमेंट ले रही महिलाएं न बरतें लापरवाही
अगर आप IVF या कोई अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ले रही हैं तो भी होली के दौरान सावधानी बरतें। भीड़-भाड़, पानी से दूर रहें क्योंकि इससे चोट लगना का डर रहता है। इससे ट्रीटमेंट में प्रॉब्लम आ सकती है। वहीं, ज्यादा गुजिया का सेवन भी ना करें और संतुलित व स्वस्थ डाइट लें।