हर साल की तरह दिल्ली की हवा खराब होनी शुरु हो गई है। पराली जलने, बदलते मौसम के कारण दिल्ली में इन दिनों धुंध छाई हुई है। धुंध के चलते आसमान भी धुंधला हो गया है ऐसे में एक्सपर्ट्स ने सांस संबंध समस्याओं के बढ़ने की चेतावनी भी जारी की है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सारे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को भी बंद कर दिया है। दिल्ली की प्रदूषिण हवा का असर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी हुआ है।
अभी और बढ़ेगा प्रदूषण
वैज्ञानिकों ने अभी अगले दो हफ्ते के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की चेतावनी भी जारी कर दी है। यह समस्या परेशानी इसलिए खड़ी कर रही है क्योंकि कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता पहले से ही एक्यूआई 400 से ज्यादा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुबह 8 बजे सफदरजंग वेधशाला में दृश्यता घटकर केवल 500 मीटर ही रह गई है। दिन के दौरान जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है वहीं दृश्यता 800 मीटर हो गई है। शहर का एक्यूआई करीबन दोपहर 3 बजे तक 378 तक पहुंच गया है। दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा से संबंधित बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि खराब मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण प्रदूषण का स्तर अभी और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
कौन सी जगह पर है कितना एक्यूआई
रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली के आनंद विहार में 452, पंजाबी बाग में 439, बवाना में 432, रोहिणी में 422, नरेला में 422, द्वारका सेक्टर 8 में 420, वजीरपुर में 406, जहांगीरपुरी में 403 एक्वाआई दर्ज किया गया है।
एक्सपर्ट्स ने दी सलाह
ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा तथा फेफड़ों से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। सफदरजंग अस्पताल में मेडिसिन विभाग के एक्सपर्ट जुगल किशोर ने यह सलाह दी है कि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग अपनी दवाईयां नियमित तरीके से लें और जब तक जरुरी न हो खुले में न जाएं। उन्होंने लोगों को अपने घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। हाल ही के दिनों में प्रदूषक तत्वों के जमा होने के पीछे का एक प्रमुख मानसून के बाद बारिश का न होना है।
इस बातों का भी रखें ध्यान
खराब हवा के चलते यदि फिर भी आपको बाहर जाना पड़ता है तो एक्सपर्ट्स के अनुसार, आप N95 मास्क पहनकर रखें। यह मास्क हवा में पाए जाने वाले कणों को 95% तक फिल्टर करने की सुविधा देता है।