आज के दौर में ज्यादातर मैरिड कप्पल न्यूट्रल फैमिली में रहना पसंद करता है। जिस वजह से उनके एक या फिर दो ही बच्चे होते हैं। ऐसे में बच्चें ज्यादातर समय अकेले रहना, ज्यादा शेयरिंग न करना, पार्टी वगैरह में लोगों से बातचीत न करना आदि पसंद करते हैं। ऐसे में पब्लिकली बच्चों के बेहेवियर में काफी बदलाव नज़र आता है, जिसे अकसर शर्मीले या कई बार बच्चों को रूड कहा जाता है। ऐसे में इंट्रोवर्ट बच्चों की परवरिश में अभिभावको को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, आईए जानते है इनके बारे में-
ऐसे करे इंट्रोवर्ट चाइल्ड की परवरिश
इंट्रोवर्ट चाइल्ड की परवरिश अपने आप में एक चैलेंज है। जब भी बच्चा कुछ नया करे, तो उसकी तारीफ करना न भूलें। घर से अकेले बाहर जाने और नए दोस्त बनाने पर, आप उसकी तारीफ करें, उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन करे। आपका सपोर्ट और तारीफ से बच्चे का कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ेगा। इससे बच्चा आगे चलकर अपनी सोशल लाइफ इंजॉय कर पाएगा।
डर को दूर भगाने के लिए इन बातों का रखे ध्यान
पैरेंट्स को समय निकाल अपने बच्चों की तरफ ध्यान देना चाहिए। लोगों से बात करने के डर को दूर भगाने के लिए उन्हें छूट्टी वाले दिन बाहर लेकर जाना चाहिए, बच्चों में एक्टिवटी के लिए कुछ समय उन्हें अकेला छोड़े। बच्चे को उसके कंफर्ट जोन से निकालने के लिए आप छोटे-छोटे स्टेप उठाएं जैसे कि किसी अजनबी से बात करने के लिए कहें या खुद जाकर किराने से सामान लाने के लिए कहें। इससे आपके बच्चे में थोड़ा कॉन्फिडेंस आएगा और वो निडर बनेंगे।
मां और बच्चे का होना चाहिए मजबूज बॉन्ड
बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता की कंपनी चाहता है। उसे अपने पैरेंट्स का समय चाहिए होता है जो अकसर नहीं मिल पाता। हो सकता है कि उसे स्कूल में कोई परेशानी हो या नए दोस्त बनाने में दिक्कत आ रही हो, ऐसे में वह अपनी मां से ज्यादा बतां करता है तो आपकों चाहिए कि हर दिन बच्चे से उसकी दिनचर्या के बारे में पूछे खासकर जब वह स्कूल से आए। अपने बच्चे से बात करें और उसे विश्वास दिलाएं कि वो अपने मन की हर बात आपसे कर सकता है। उसे बताएं कि वो जब चाहे आपसे आकर बात कर सकता है, इस तरह आप दोनों का बॉन्ड भी मजबूज होगा।
अपने बच्चे से कभी भी दूसरे बच्चे की तुलना न करे
हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है। हो सकता है कि आपका बच्चा अपनी उम्र के बच्चों की तरह कंफर्टेबल होकर बात न कर पाए। इसके लिए बच्चे के साथ जल्दबाजी न करें समय लेकर बच्चे की कंपनी को ज्वाइन करे। इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा और वह आपसे अपनी हर बात को शेयर करेगा। और ध्यान रखे अपने बच्चे के सामने कभी भी दूसरे बच्चे की तुलना न करे इससे मनोबल कम होता है और बच्चे में नेगेटिविटी आती है।
पैरेंट्स की ये छोटी से गलती बच्चे की पर्सनैलिटी का हिस्सा बन जाता है
जब भी बच्चे बाहर जाकर किसी नहीं बुलाते तो अकसर पैरेंट्स बच्चे को शर्मिला कहकर बुलाते है। इससे बच्चा खुद भी अपने बारे में ऐसा ही सोचने लगता है कि वो शर्मीला है और दूसरों से कम ही बात करता है। इस तरह शर्मीलापन हमेशा के लिए उसकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन सकता है। इसकी वजह से बच्चा कुछ अच्छे अवसरों से पिछड़ सकता है। इसलिए उसे कभी भी शर्मिले का टैग न दे।