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शहरों में बढ़ता शोर और प्रदूषण महिलाओं की Fertility को कर रहा है कमजोर

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Sep, 2024 01:51 PM
शहरों में बढ़ता शोर और प्रदूषण महिलाओं की Fertility को कर रहा है कमजोर

नारी डेस्क: शहरी जीवन का तेजी से बढ़ता प्रदूषण और शोरगुल केवल जीवन की गुणवत्ता को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह प्रजनन की क्षमता को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हाल ही में डेनमार्क के कोपेनहेगन स्थित डेनिश कैंसर संस्थान द्वारा किए गए एक शोध ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डाला है। इस शोध के अनुसार, शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण पुरुषों की प्रजनन क्षमता को और शोरगुल वाला यातायात महिलाओं की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है। यह शोध ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, और इसके परिणाम दुनिया भर के प्रजनन संबंधी समस्याओं को समझने में सहायक हो सकते हैं।

शोध की प्रमुख बातें

इस शोध का उद्देश्य प्रजनन क्षमता पर पर्यावरणीय प्रभाव को समझना था। डेनिश कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने 30 से 45 वर्ष की आयु के नौ लाख से अधिक डेनिश वयस्कों के डेटा का अध्ययन किया, जो 2000 से 2017 के बीच डेनमार्क में निवास कर रहे थे और जिनके पास कम से कम एक बच्चा था। इस डेटा में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया जिन्हें पहले से किसी भी प्रकार की बांझपन की शिकायत थी या जिन्होंने नसबंदी करवा रखी थी।

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शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के पते का उपयोग करते हुए उनके निवास स्थान पर वायु प्रदूषण और शोरगुल का अध्ययन किया। उन्होंने 1995 से 2017 तक के डेटा का विश्लेषण किया और देखा कि हवा में पीएम 2.5 कणों की सांद्रता कैसे बदलती रही। पीएम 2.5 कण बहुत छोटे होते हैं और इनका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है। इसके अलावा, उन्होंने यातायात के शोर के स्तर को भी ट्रैक किया।

शोध के परिणाम

शोध में पाया गया कि 16,172 पुरुषों और 22,672 महिलाओं में बांझपन की शिकायत पाई गई। यह दर्शाते हैं कि वायु प्रदूषण और शोरगुल का प्रजनन क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। प्रदूषण और शोर के कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जो पुरुषों की शुक्राणु की गुणवत्ता और महिलाओं की प्रजनन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

आय, शिक्षा और व्यवसाय का प्रभाव

इस शोध में आय, शिक्षा स्तर, और व्यवसाय जैसे कारकों को भी शामिल किया गया, लेकिन परिणामों पर इनका कोई विशेष असर नहीं दिखा। यह संकेत करता है कि प्रदूषण और शोरगुल के स्वास्थ्य पर प्रभावों को नकारा नहीं जा सकता और यह सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों पर समान रूप से प्रभाव डाल सकते हैं।

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इस शोध ने यह स्पष्ट किया है कि प्रदूषण और शोरगुल केवल हमारे जीवन की गुणवत्ता को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि प्रजनन क्षमता पर भी इसका गंभीर असर हो सकता है। शहरों में प्रदूषण और शोर कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और संतुलित जीवन सुनिश्चित किया जा सके। यह शोध समाज को जागरूक करता है कि वायु गुणवत्ता और शोरगुल को नियंत्रित करना न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और पर्यावरण की रक्षा करें।
 

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