नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। 19 अक्टूबर यानी गुरुवार को इनकी पूजा- अर्चाना की जाएगी। देवा स्कंदमाता कार्तिकेय यानी कि स्कंग कुमार की माता हैं, इसलिए उन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। कहते हैं कि नवरात्रि में निसंतान दंपत्ति को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद जल्द भर जाती है। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग , मंत्र और उपाय....
ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और मां का ध्यान करें। मां की मूर्ति या तस्वीर को गंगा जल से शुद्ध करें। फिर मां को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मां को भोग के रूप में मिठाई और 5 तरह के फलों का भोग लगाएं। मां का ध्यान करें। मां के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। सच्चे भाव से मां की पूजा करें और आरती उतारें। कथा पढ़ने के बाद और आखिरी में मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर मां को उनका प्रिय पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। स्कंदमाता का ध्यान करने के बाद मंत्र का जाप करें। मां की कथा पढ़ें और आरती करें।
स्कंदमाता का भोग
मां को केले का भोग बहुत ज्यादा प्रिय है। वहीं आप माता को खीक अर्पित करके भी प्रसन्न कर सकते हैं। ]
मां स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां स्कंदमाता का उपाय
संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए एक चुनरी में नारियल बांध लें और “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी" मंत्र बोलते हुए देवी को नारियल और चुनरी को देवा स्कंदमाता का ध्यान करते हुए माता के चरणों में चढ़ाएं। इसके बाद इसे शयनकक्ष में सिरहाने में रखें। मान्यता है स्कंदमाता की पूजा करने से संतान की प्राप्ति में आ रही बाधाओं का अंत होता है।