मंथन तेलंगे जो की 15 साल का है और उसकी मां मोनिका (43) जो कूड़ा बीनने वाली है, ने कक्षा 10 की राज्य बोर्ड परीक्षा के लिए एक साथ अध्ययन किया और क्रमश: 64% और 51.8% अंकों के साथ पास किया। बता दें कि कागड़ कच कश्तकारी पंचायत (केकेपीकेपी) से जुड़े कूड़ा बीनने वाले के बच्चों ने पिछले साल की तरह महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन (एमएसबीएसएचएसई) द्वारा आयोजित परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए हैं।
मंथन की मां मौनिका जो की सिंगल मदर है जो बस्ती में परिवार के साथ रहती है, अपने बेटे मंथन के स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप से अध्ययन सामग्री पढ़ती थी। वह अपना मैट्रिक पूरा करना चाहती थी क्योंकि ये विभिन्न नौकरियों के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता थी। मंथन की मां का कहना है कि उनका बेटा ही उनका ट्यूटर था। वो डॉक्टर बनना चाहता है और नेशनल एलिजिबिलटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) की तैयारी करेगा। वहीं वो आगे 12 वीं की पढ़ाई करके नर्सिंग का कोर्स करना चाहती हैं।
और भी हैं मिसालें....
वहीं 14 साल पहले पिता के चले जाने के बाद से जयेश नवगिरे और उनकी बहन अपनी मां के साथ रहते हैं। मंदाकिनी, उनकी मां, परिवार में एकमात्र कमाने वाली रही हैं, जो कई काम कर रही हैं - सुबह में कूड़ा बीनने वाली और दोपहर के समय हाउसकीपर। जयेश ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए बिसलेरी पानी की कंपनी में नौकरी की। उसने एसएससी परीक्षा में 64% अंक हासिल किए।
सोनाली राठौड़ को उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद उसके भाई राम, जो कि एक कूड़ा बीनने वाला था, ने पढ़ाई के लिए महिला सहायता आश्रम माहेर ( women’s support ashram) भेजा गया था। अपने परिवार से दूर रहने के बावजूद, सोनाली ने 10वीं कक्षा की परीक्षा में 65% अंक प्राप्त किए।
बच्चों की सफलता न केवल उनके परिवारों बल्कि कूड़ा बीनने वाले समुदाय के लिए भी खुशी और गर्व महसूस कर रही है। इससे हम सब को प्रेरणा मिलती है कि अगर कूड़ा बीनने वाले पढ़ कर इतना आगे बढ़ सकते हैं तो हम क्यों नहीं।