भले ही हम सालों से विश्व खाद्य दिवस मना रहे हैं, लेकिन दुनिया भर में भूखे पेट सोने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। विश्व में आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। दरअसल दुनिया से भुखमरी को खत्म करने के लिए प्रत्येक वर्ष ’16 अक्टूबर’ को यह दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य भूख से पीड़ितों के लिए जागरूकता को बढ़ावा देना तथा सभी के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार की आवश्यकता सुनिश्चित करना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम जागरूक हैं, अगर नहींतो आज हम आपको बताते हैं कि इस समस्या को खत्म करने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं।
- स्वस्थ और सतत आहार अपनाएं।
- खाना दान करें नहीं तो वह बर्बाद हो जाएगा।
- केवल वही खरीदें जिसकी आवश्यकता है।
- अपने बचे भोजन को उपयोग के लिए रखें।
- अपने लिए घर में खाद्य पदार्थ उगाएं।
- मिट्टी और पानी स्वच्छ रखें।
- कम पानी का उपयोग करें।
- स्थानीय खाद्य उत्पादकों को सहयोग करें।
- जैविक खरीदें।
इस दिवस का उद्देश्य
'विश्व खाद्य दिवस' का उद्देश्य खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए विकासशील देशों के मध्य तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग बढ़ाना और विकसित देशों से आधुनिक तकनीकी मदद उपलब्ध कराना है। संयुक्त राष्ट्र की तमाम संस्थाओं द्वारा विकासशील देशों में गरीबी एवं भूखमरी से निपटने के लिए तमाम प्रयास भी शुरू किए गए हैं। अफ्रीका महाद्वीप के रवांडा, नाइजीरिया, इरीट्रिया, कोमोरोस, सूडान, चाड, यमन रिपब्लिक, इथोपिया, मेडागास्कर, जाम्बिया, सोमालिया, सेनेगल, बुरुंडी जैसे देशो में भारी खाद्यान्न संकट है।
विश्व खाद्य दिवस का इतिहास
- वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना की थी।
- “विश्व खाद्य दिवस” 16 अक्टूबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है।
- विश्व की बहुत सी सस्थाएं इसे खाद्य सुरक्षा दिवस के रूप में भी मनाती है।
- सर्वप्रथम खाद्य दिवस 1980 में मनाया गया था।
- वर्तमान में यह विश्व भर के 150 से अधिक देशो में मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इस दिवस को मनाते हैं।
भारत की क्या है स्थिति
भारत में एक तरफ जहां एक बड़ी आबादी को ढंग का भोजन नसीब नहीं हो पा रहा है वहीं यहां पर सार्वजनिक समारोहों और शादी- पार्टियों में बड़ी मात्रा में खाने की बर्बादी हो रही है। यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 5000 बच्चे कुपोषण के शिकार होते जा रहे हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018 में 119 देशों की सूची में भारत को 103वां स्थान मिला था। 2017 में भारत 100वें और 2016 में 97वें पायदान पर था। ऐसा नहीं है कि भारत में खाने की कोई कमी है यहां बड़ी मात्रा में पैदावार होने के बाद भी सही देखरेख के अभाव में हर साल बड़ी मात्रा में खाद्यान्न बर्बाद हो रहा है।
क्यों है ये समस्या
- भारत में हर साल गोदामों में 50 करोड़ रुपयों का 10 लाख मीट्रिक टन अनाज नष्ट हो जाता है।
- यह अनाज हर साल 1 करोड़ लोगो की भूख मिटा सकता हैं।
- देश में ये अनाज खुले में रखने के कारण बारिश, धूप, सर्दी से नष्ट हो जाता है।
- देश में आधुनिक भंडारण का आभाव है।
- देश में 47% बच्चे कुपोषण की समस्या से जूझ रहे हैं।