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स्कूली छात्राओं के लिए सरकार ने बनाई हाइजीन पॉलिसी, अब पीरियड्स के दौरान नहीं रहेगा इंफेक्शन का खतरा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 13 Nov, 2024 07:36 PM
स्कूली छात्राओं के लिए सरकार ने बनाई हाइजीन पॉलिसी, अब पीरियड्स के दौरान नहीं रहेगा इंफेक्शन का खतरा

नारी डेस्क: स्कूलों में लड़कियों के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन को बेहतर बनाने और सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने नई पॉलिसी लागू की है, जिसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई है। सरकार ने बताया कि छात्राओं के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी को 2 नवंबर को मंजूरी दे दी गई है। स्कूली छात्राओं के बीच मेंस्ट्रुअल हाइजीन को लेकर समझ बढ़ाने और इसे लेकर सोच और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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 कांग्रेस नेता ने उठाई थी मांग

दरअसल कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर द्वारा दायर एक जनहित याचिका दायर कर  केंद्र और राज्यों को कक्षा छह और 12 के बीच की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय विद्यालयों में अलग महिला शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी।  हलफनामे में कहा गया था कि- ‘‘इस नीति का उद्देश्य स्कूली छात्राओं के बीच ज्ञान, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए सरकार की स्कूल प्रणाली के भीतर मासिक धर्म स्वच्छता को मुख्यधारा में लाना है।

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टॉयलेट की कमी के कारण स्कूल नहीं जा पाती लड़कियां

कोर्ट से कहा गया था कि- इस पॉलिसी को लाने का मकसद उन रुकावटों को दूर करना है, जो मेन्सट्रूअल साइकिल के दौरान छात्राओं को स्कूल आने से रोकती हैं। ​​​भारत में किशोरियों की स्थिति पर हुए एक सर्वे में पाया गया था कि टॉयलेट की कमी के कारण एक चौथाई लड़कियां मेन्सट्रूअल साइकिल के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं। ऐसे में मांग की जा रही थी कि स्कूलों में सर्वे सिस्टम को बेहतर बनाया जाना चाहिए और ये पता लगाना चाहिए कि इसे कैसे बेहतर किया जा सकता है। जिससे पता चल सके कि गवर्नमेंट और प्राइवेट स्कूलों में स्टूडेंट्स को मेन्सट्रूअल साइकिल से जुड़ी साफ-सफाई की जानकारी हो और पैड्स जैसे जरूरी सामान मिल सकें।

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मेन्सट्रूअल साइकिल को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने उठाया कदम

केंद्र सरकार का कहना है कि- इस पॉलिसी का उद्देश्य सोशल टैबू को खत्म करना और मेन्सट्रूअल साइकिल को सुरक्षित बनाना है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि  सरकारी, सरकार से सहायता प्राप्त और निजी सहित देश के 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूल छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा प्रदान करते हैं। यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के लिए 17.5 लाख शौचालयों के अलावा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कों के लिए 2.5 लाख और लड़कियों के लिए 2.9 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया। 

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