अकसर कुछ लोग बदलते मौसम के कारण किसी न किसी फ्लू या बीमारी का शिकार हो जाते हैं, तो वहीं कुछ लोग अपने खराब जीवनशैली की वजह से बीमार हो जाते हैं। लेकिन अकसर हमे पता नहीं चलता कि यह छोटी आम बीमारियां है या फिर हम कोई बड़ी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। इंसान के शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए कई महत्वपूर्ण चीज़ों का अपनी जीवनशैली में उतारना बहुत जरूरी होता है।
जैसे कि रोजाना तौर पर एक्सरसाइज, समय-समय पर खान-पान पर ध्यान, शरीर की सफाई आदि शामिल है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वैसे तो शरीर के सभी अंगो का स्वस्थ होना बहुत जरूर है लेकिन ज्यादातर फेफड़ों का हेल्दी रहना शरीर के लिए काफी अहम माना जाता है। वहीं, कोरोना वायरस ने भी फेफड़ों को लेकर ज्यादा चिंता बढ़ा दी है। जैसा कि कोरोना, मरीजों के फेफड़ों पर अपना प्रभाव बनाता है जिस कारण मरीज की स्थिति इतनी बिगड़ जाती थी कि उनका सांस भी लेना मुशिकल हो जाता था।
ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि क्या आपके फेफड़े स्वस्थ हैं या नहीं? वहीं आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे कि जिससे आप जान सकते हैं कि आपके फेफड़ें कितने स्वस्थ हैं-
- इसके लिए सबसे पहले तो आपको अपनी सांस पर ध्यान देना होगा। अगर आपकी सीढ़िया चढ़ने, तेज चलने या घर के काम करने के दौरान सांस बहुत जल्द फूलने लगती है तो आप समझ जाए कि आपके फेफड़े कमजोर हैं। इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- कमजोर फेफड़ों की निशानी लंबी खांसी भी है। वैसे तो बदलते मौसम में अकसर लोगों को खांसी की प्राॅब्लम हो जाती है लेकिन अगर आपकी खांसी 8 हफ्तों से अधिक वक्त से लागातार हो रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर से अपनी जांच करानी चाहिए।
- सीने में दर्द रहना भी कमजोर फेफड़ों की निशानी है। अगर आपको खांसते-छींकते वक्त सीने में दर्द होता है या सांस लेने के दौरान हल्का दर्द महसूस हो रहा है तो ये खतरनाक लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए भी आपकों फौरन डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए।
फेफड़े खराब होने के कई और कारण हो सकते हैं जैसे कि-
कुछ फेफड़ों की बीमारियां पुरानी श्वसन विफलता का कारण बन सकती हैं। ऐसी स्थितियां जो मस्तिष्क, मांसपेशियों, हड्डियों, या आस-पास के ऊतकों को सांस लेने में सहायता करती हैं, वे भी सांस की विफलता का कारण बन सकती हैं। आमतौर पर पुरानी सांस की विफलता के कारण होने वाली बीमारियों और स्थितियों में शामिल हैं।
-क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)
-जटिल निमोनिया
-सिस्टिक फाइब्रोसिस
-रीड़ की हड्डी में चोटें
-आघात
-मांसपेशीय दुर्विकास
-सीने में चोट
-दवा या शराब का दुरुपयोग
-निमोनिया होना।
-मोटापा होना।
-अधिक सिगरेट और तबांकू का सेवन करना।
-अत्यधिक मात्रा में शराब पीना।