टोक्यो ओलंपिक का दूसरा दिन, भारत के लिए बेहद खास बन गया क्योंकि देश की बेटी मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल अपने नाम कर एक नया इतिहास रच दिया। हर और मीराबाई चानू के अभिनंदन की खबरें आ रही हैं ...मीराबाई चानू ने एक बार फिर मिसाल कायम कर दी कि औरत ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं बस जरूरत है हिम्मत और हौंसले की...
वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीते वाली मीराबाई वेटलिफ्टर में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र खिलाड़ी हैं उन्होंने 49 कि.ग्रा महिला वर्ग के वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में मेडल जीता। मीराबाई ने स्नैच में 87 किलो, जबकि क्लीन एंड जर्क में 115 किलो का भार उठाया और कुल 202 किलोग्राम का भार उठाया।
जब चानू वेट लिफ्ट कर रहीं थी तो देशभर के हर धर्म हर मजहब के लोग अपनी नजरें चानू पर टिकाएं थे और हाथ जोड़ यहीं दुआएं मांग रहे थे कि चानू की ये लिफ्ट हो जाए और चानू ने उम्मीदों को पूरा कर दिखाया। इस तरह वह टोक्यो ओलंपिक 2020 का सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली जबकि ओलंपिक के इतिहास में वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गई।
लेकिन चानू ने इसके लिए कड़ा संघर्ष किया, अपने आंसुओं को ही अपनी ताकत बनाया। दरअसल, रियो ओलिंपिक में मीराबाई चानू अपना 100 प्रतिशत देने के बाद असफल हो गई थीं। वो समय इतना कठिन था कि चानू टूट गई और पोडियम में ही रोने लगीं थी। मीराबाई अकेले नहीं उनके साथ रोया था पूरा मणिपुर और पूरा भारत लेकिन चानू ने अपनी हिम्मत हौंसला और बुलंद किया। रियो पोडियम से एक नई सीख लेकर अपने आंसुओं को ताकत बनाया और मन की आवाज को सुना था जो कह रही थी, मुझे कमजोर मत समझना, अगले ओलंपिक में के पोडियम में मेरा ही डंका बजेगा...जो उन्होंने कर दिखाया।
इसी बीच मीराबाई ने ट्वीट कर सबका शुक्रिया किया। मीराबाई ने कहा कि इस जीत से बेहद खुश हैं, वह बीते 5 सालों से यह सपना देख रही थीं, जो आखिरकार सच हुआ। उन्होंने कहा, ‘मैं इस पर गर्व महसूस कर रही हूं। इसी के साथ उन्होंने लिखा कि वो अपना मेडल देश को डेडिकेट करना चाहती है। उन्होंने अपनी मां और अपने कोच का भी धन्यवाद किया।
टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर जीतने वाली मीराबाई साइखोम चानू है कौन चलिए इसी के बारे में बताते हैं...
मणिपुर में जन्मीं मीराबाई चानू बचपन से ही तीरंदाजी में अपना करियर बनाना चाहती थीं लेकिन 8वीं क्लास में उनके मन में वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने का विचार आया। मीराबाई इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी से इंस्पायर्ड हुई और वेटलिफ्टिंग में ही दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी।
फिर साल 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। चानू का 2016 रियो ओलिंपिक निराशाजनक रहा था हालांकि 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के क्वालीफाई मैच में मीराबाई चानू ने अपनी आदर्श वेटलिफ्टर कुंजरानी को हराकर रियो ओलंपिक गेम्स में अपनी जगह बनाई थी। साल 2017 में हुई वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में मीराबाई ने 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन किया और 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया। मीराबाई के बाद अब भारत की उम्मीद मैरी कॉम से है। दरअसल, ओपनिंग सेरेमनी के मार्चपास्ट में मनप्रीत सिंह के साथ मैरी कॉम भी ध्वजवाहक रही, जिन्होंने अपने देश का तिरंगा लहरा भारतीय खिलाड़ियों को मनोबल बढ़ाया।
बता दें कि दुनिया की दिग्गज महिला मुक्केबाजों में शुमार भारत की मैरी कॉम दूसरी बार ओलंपिक में भाग ले रही हैं। मोहम्मद अली के आदर्शों पर चलने वाली मैरी कॉम का सपना भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम करना है।
25 जुलाई को डोमिनिका की मिगुएलिना हर्नांडेज़ से मैरी कॉम का सामना होगा। बता दें कि ओलंपिक में भारत के 9 मुक्केबाजों ने क्वालिफाई किया है, जिसमें पूजा रानी (75 किलोग्राम भारवर्ग), मैरी कॉम (51 किलोग्राम भारवर्ग), लवलिना बोरगेहन (69 किलोग्राम भारवर्ग), सिमरनजीत कौर (60 किलोग्राम भारवर्ग) महिला वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
महिला कुश्ती (53 किलो) करने उतरेंगी विनेश फोगाट जो भारत को कई मेडल दिला चुकी हैं। इसके अलावा कुश्ती में अंशु मलिक (फ्रीस्टाइल पहलवान), सोनम मलिक, सीमा बिसला भी अपना जौहर दिखाएंगी।
झारखंड, रांची की तीरंदाज दीपिका कुमारी भी इस बार ओलंपिक्स में मेडल जीतने का सपना लेकर आईं है। दीपिका के पिता ऑटो रिक्शा चालक और मां नर्स हैं। घर की हालात ठीक ना होते हुए भी उन्होंने धनुष में महारत हासिल की और देश के लिए कई मेडल लेकर आईं।
वर्ल्ड चैंपियनशिप में 5 मेडल जीतने वाली बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधू भारत की पहली और विश्व की दूसरी महिला है। टोक्यो ओलंपिक्स में भी उनसे गोल्ड की पूरी उम्मीद है।
भारत ने कुछ दिनों पहले 16 सदस्यीय भारतीय महिला हॉकी टीम घोषिणा की, जिसमें 8 खिलाड़ी ओलंपिक पदार्पण करेंगी। इसके अलावा शूटिंग में यशस्वनी, मनु भाकर गोल्ड के लिए मुकाबला करेंगी। भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तानी स्टार स्ट्राइकर रानी रामपाल के हाथो होगी।
सानिया और उनकी डबल्स जोड़ीदार अंकिता रैना टेनिस के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। बता दें कि सानिया मिर्जा चौथी जबकि अंकिता पहली बार ओलंपिक में डेब्यू करेंगी। सानिया ओलंपिक में 4 बार हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी होंगी।
तो ये हैं भारत की वो होनहार बाहुबली बेटियां जिनपर पूरे भारत की निगाहें टिकी हैं। हमें इन बेटियों पर गर्व है। नारी की ओर से नारी शक्ति को हमारा सलाम।