देश में बहुत से अधिकारी ऐसे हैं जो अपने काम को ‘काम’ नहीं बल्कि ‘कर्म’ समझते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हरी चांदना देसारी। चांदना ने विदेश की नौकरी छोड़ देश की धरती पर ही कुछ करने की ढाणी। आज प्रशासनिक अधिकारी हरी चांदना लाइमलाइट से दूर भारत की एक बड़ी समस्या कचरे का हल निकालने की दिशा में काम कर रही हैं।
हैदराबाद में ज़ोनल कमिशनर हरी चांदना देसारी ने शहर की गंदगी बढ़ा रही प्लास्टिक की पानी की बोतलों और कोल्ड ड्रिंक की बोतलों को वेस्ट मैनेजमेंट की स्किल की बदौलत ग्रीन रेवोल्यूशन में बदल दिया है। अब शहर के पार्क और सड़कों पर उसी कचरे की बोतलें नजर आती है। इतना ही नहीं जिन पुराने टायर, तेल के बड़े-बड़े ड्रम का कहीं उपयोग नहीं होता था, आज उनका भी रंग रूप बदल दिया गया है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एनवायरमेंट इकोनॉमिक्स से एमएससी की पढ़ाई करने वाली चांदना ने अपनी काबिलियत के बल पर विश्व बैंक में नौकरी की। लंदन में बीपी शेल जैसी कंपनियों के साथ भी काम किया लेकिन इस सब के बावजूद उनका मन भारत के लिए कुछ करने का था। ऐसे में उन्होंने
आईएएस बनने की ठान ली और साल 2010 में हरी अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली।
आईएएस बन कर चांदना ने देश की गंदगी को साफ करने का जिम्मा उठाया। उन्होंने पहले ग्रीन रेवोलुशन के जरीए प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगवाए। इसके बाद हैदराबाद की सड़कों और 120 पार्कों को कचरे की बोतलों से सजा दिया। देसारी बताती हैं कि जब उन्होंने प्रयोग करना शुरू किया तो विभाग के इंजीनियरों ने कहा इससे कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मैंने इसे चैलेंज के रूप में लिया और परिणाम आपके सामने है।
देसारी कहती हैं- ‘मैंने देखा की नगर निगम के ऑफिस में प्रयोग में नहीं लिए जा रहे टायर पड़े हैं, मैंने उसे पेंट कर साफ कराया और ऑफिस आने वाले लोगों के लिए बैठने के उपयोग लायक बनवाया, फिर बाद में उसे पार्क और आम जन के उपयोग के लिए पार्कों में लगवाया। देसारी ने शहर में डॉग पार्क का निर्माण कराया है, जहां पालतू कुत्ते को लेकर शहर वाले घूमने जा सकते हैं। वहां 24 प्रकार के ऐसे इक्वीपमेंट लगाए हैं जहां मालिक अपने कुत्तों को एक्सरसाइज़ करवा सकते हैं। दरअसल हरी चांदना ने बचपन से अपने पिता को एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करते देखा था, जो उनके दिलों-दिमाग में छाया हुआ था।