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नवरात्रि में कन्या पूजा का विशेष महत्व, जानें किस उम्र की कन्याओं का पूजन होगा शुभकारी

  • Edited By neetu,
  • Updated: 12 Oct, 2021 10:58 AM
नवरात्रि में कन्या पूजा का विशेष महत्व, जानें किस उम्र की कन्याओं का पूजन होगा शुभकारी

देशभर में नवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा व व्रत रखने का महत्व है। इसके साथ ही नवरात्रि के आठवें व नौवें दिन पर कन्या पूजन करने का विधान है। इस शुभ दिन पर 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप मानकर उनका पूजन किया जाता है। चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि किस वर्ष की कन्या की पूजा करने का क्या महत्व है...

 

वैसे तो नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करने का महत्व है। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से देवी मां की असीम कृपा मिलती है। जीवन की समस्याएं दूर होकर खुशियों का आगमन होता है। नौकरी व कारोबार संबंधी समस्याएं दूर होकर तरक्की के रास्ते खुलते हैं।

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दो वर्ष की कन्या- इस उम्र की कन्या को कुमारी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। जीवन में खुशहाली का आगमन होता है।


तीन वर्ष की कन्या- 3 साल की कन्याओं को त्रिमूर्ति का रूप माना जाता है। मान्यता है कि इस वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से जीवन में धन-धान्‍य आता है। परिवार में सुख-समृद्धि व बरकत बनी रहती है।


चार वर्ष की कन्या- 4 साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से परिवार का कल्याण होता है। ऐसे में घर-परिवार पर देवी मां की असीम कृपा बरसती है।

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पांच वर्ष की कन्या- 5 वर्ष की कन्याओं को रोहिणी कहा जाता है। इस उम्र की कन्याओं का पूजन करने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।


छह वर्ष की कन्या- 6 साल की कन्याओं को कालिका रूप माना जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन में 6 साल की कन्याओं की पूजा करने से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।

 

सात वर्ष की कन्या- 7 साल की लड़कियों को चंडिका का रूप माना जाता है। कन्याओं का माता के इस रूप में का पूजन करने से ऐश्वर्य प्राप्त होता है। इससे जीवन में धन की बरकत बनी रहती है।

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आठ वर्ष की कन्या- 8 साल की कन्याओं को देवी दुर्गा का शाम्‍भवी रूप माना जाता है। इस उम्र की कन्याओं का पूजन करने से वाद-विवाद में जीत मिलती है। जीवन में परेशानियों का अंत होता है।


नौ वर्ष की कन्या- 9 साल की  कन्याएं देवी दुर्गा का रूप मानी जाती है। इनका पूजन करने से जीवन में शत्रुओं का नाश होता है। इसके साथ ही असाध्य कार्यपूर्ण हो जाते हैं।


दस वर्ष की कन्या- 10 साल की कन्या सुभद्रा कहलाती है। इनकी पूजा करने से सारे मनोकामनाएं पूरी हो जाते हैं।

 

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