कोरोना की दूसरी लहर देशभर में तेजी से अपने पैस पसार रही है। साथ ही रोजाना कोरोना के नए लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में लोग कोरोना को लेकर कंफ्यूजन में है। असल में, इसके कुछ लक्षण साधारण फ्लू और निमोनिया से मिलते-जुलते हैं। निमोनिया की तरह कोरोना भी फेफड़ों पर बुरा असर डालता है। इसके कारण सांस से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मगर फिर भी कोरोना वायरस व निमोनिया में फर्क पता लगाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
ऐसे करें निमोनिया की पहचान
यह एक तरह का फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस और फंगस द्वारा फैलता है। इसके कारण फेफड़ों में पस या अन्य तरल पदार्थ जमा होने फेफड़ों के खराब होने का खतरा रहता है। तो चलिए आज हम आपको बैक्टीरियल निमोनिया होने का कारण, लक्षण व इसका उपचार बताते हैं।
बैक्टीरियल निमोनिया
बैक्टीरियल निमोनिया स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया है, जो शरीर में कमजोरी होने पर होता है। उदाहरण के तौर पर शरीर को सही पोषण ना मिलना, बढ़ती उम्र, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होना आदि। इसके कारण बैक्टीरिया फेफड़ों में जाने से उसे खराब करने लगते हैं। यह निमोनिया किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। मगर सिगरेट, शराब का सेवन करने वाले, कमजोर इम्यूनिटी, सांस से जुड़ी समस्या वाले और जिन लोगों की सर्जरी हुई हो। उनका इसकी चपेट में आने का खतरा दूसरों से अधिक होता है।
इन लोगों में निमोनिया का ज्यादा खतरा
- 65 या उससे अधिक आयु वर्ग के लोग
- 2 साल से कम आयु के शिशु
- किसी बीमारी से जुझ रहे लोग
- सिगरेट, शराब आदि का सेवन करने वाले
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के शिकार लोग
बैक्टीरियल निमोनिया के मुख्य लक्षण
- मानसिक तनाव होने से स्मरण शक्ति कमजोर होना
- होंठों और नाखूनों का रंग नीला होना
- खांसी के साथ हरे या पीले रंग की बलगम होना। किसी स्थिति में खून आने की संभावना होना
- बुखार आना
- भारी मात्रा में पसीना आना
- भूख में कमी होना
- इम्यूनिटी कमजोर होने से थकान, कमजोरी व आलस होना
- बार-बार सांस फूलना
- नब्ज का तेज होना
- मरीज को ठंड लगना
- छाती में तेज दर्द होने के साथ खांसी होना
- सांस लेने में दिक्कत आने से किसी भी काम को करने का दिल ना करना
इन टेस्ट से पता करें निमोनिया
इसे कुछ टेस्ट के माध्यम से इसे जांचा जा सकता है।
- ब्लड टेस्ट
- चेस्ट एक्स-रे
- छाती का सीटी स्कैन
- बलगम की जांच
- नब्ज में ऑक्सीजन की जांच (Pulse oximetry)
- ब्रोनकोस्कॉपी (Bronchoscopy), इसमें फेफड़ों के वायुमार्गों की जांच होती है।
- फुफ्फुस बहाव की जांच (Pleural fluid culture), इसमें छाती और चेस्ट वॉल के बीच की जगह का टेस्ट होता है।
ऐसे करें बैक्टीरियल निमोनिया का उपचार
वैसे तो इसका इलाज घर पर आसानी से हो सकता हैं। मगर यह निमोनिया के प्रकार पर निर्भर करता है। साथ ही मरीज की स्थिति गंभीर होने पर बिना देर लगाएं उसे अस्पताल में भर्ती करवा देना चाहिए। बैक्टीरियल निमोनिया का उपचार रोगी को एंटीबायोटिक्स देकर होता है।
अन्य सावधानियां और उपचार
- पूरा आराम करें
- संतुलित भोजन पेट भर खाएं
- तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें
- सांस संबंधी परेशानी होने पर ऑक्सीजन थेरेपी आएगी काम
- दर्द की दवा का सहारा ले सकते हैं
- बुखार बढ़ने ना दें
- खांसी दूर करने वाली दवा का सेवन करें
इसके साथ ही pneumococcal vaccine लगवाने से बैक्टीरियल निमोनिया से बचा जा सकता है। डाक्टरों द्वारा इसे 5 साल से कम और 65 साल से अधिक लोगों को लगवाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इस टीके को उन बच्चों और वयस्कों को लगवाना चाहिए जिन लोगों को अन्य किसी रोग के कारण Pneumococcal बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।