नारी डेस्कः करवाचौथ के व्रत (KarwaChauth Vrat 2024) को कुछ दिन ही रह गए हैं। इस त्योहार पर सुहागिनें सोलह -श्रृंगार करती हैं, पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और करवा व्रत कथा सुनती हैं। वहीं चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना यह व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता। चंद्रमा को अर्क (अर्घ्य) देने के बाद ही करवाचौथ का व्रत संपूर्ण होता है लेकिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के भी नियम हैं। चलिए आपको उन्हीं नियमों के बारे में बताते हैं।
करवा चौथ में चांद को अर्घ्य कैसे दिया जाता है?
करवा चौथ के दिन शाम को कथा पूजन करने के बाद शाम को कलश में चांदी का सिक्का, मिश्री, अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त आटे व घी का दीपक जलाएं, उस दीपक को अपनी छलनी की ओट में रखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। करवाचौथ में अर्घ्य देते समय कलश में चांदी का सिक्का, थोड़ी सी मिश्री व चावल के दाने डाल कर अर्घ्य दें। फिर चंद्रमा को छलनी में देखने के बाद पति का चेहरा उस छलनी में देखें और अपनी परंपरानुसार पति के दर्शन कर हाथ से जल ग्रहण करें। चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने से ही व्रत संपूर्ण होता है।
करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ्य देते कौन सा मंत्र बोल सकते हैं?
सबसे पहले चांद को अर्घ्य देते समय चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना चाहिए। चंद्रमा के मंत्र हैं: ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:, ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:, ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम। आप चंद्र को देखते हुए अर्घ्य चढ़ाएं और उस दौरान चंद्र मंत्र ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं। चंद्र देव से अपने पति की दीघार्यु का आशीर्वाद मांगे।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय चंद्रमा की रक्षा स्तुति बोल सकती हैं। चंद्रमा की स्तुति है: क्षीरोदार्णवसम्भूत आत्रेयगोत्रसमुद्भव:। गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्यसहितो मम ।। इस स्तुति को 5 या फिर 11 बार दोहरा सकते हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय, ये बातें भी ध्यान में रखें
करवा चौथ पर, चंद्रमा को अर्घ्य देते समय, कलश में चांदी का सिक्का और चावल के दाने डालें। करवा चौथ पर, मिट्टी के करवे में जल और अक्षत डालकर रखें और करवे पर कलावा बांधें। अर्घ्य देने के बाद, करवे से पति को जल पिलाएं। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय अपने पति का 5 बार नाम लें और एक सफेद फूल चंद्रमा को अर्पित करें। ज्योतिषियों के मुताबिक, सूतक-पातक और मासिक धर्म होने पर महिलाओं को चंद्रमा को अर्घ्य नहीं देना चाहिए। वहीं आप मिट्टी के करवे की जगह चांदी व किसी और धातु का बर्तन अपनी परंपरा अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं।
करवा चौथ 2024 कब है? | KarwaChauth Vrat 2024
पंचांग के अनुसार, इस साल 2024 में पुण्यदायी करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। करवा चौथ को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।
माता पार्वती को हुई अखंड सौभाग्य की प्राप्ति
पौराणिक कथा मान्यताओं के अऩुसार, करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। पर्वतराज हिमालय और देवी मैनावती की पुत्री पार्वती ने नारद जी के परामर्श पर भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी लेकिन शिवजी न तो प्रसन्न हो रहे थे और न ही दर्शन दे रहे थे। तब देवी पार्वती ने कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में निर्जला उपवास रखकर शिव-साधना की थी। इस व्रत के बाद ही उनका विवाह शिव से हुआ था। इस व्रत से माता पार्वती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। तभी से सुहागिनें अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।इस दिन महिलाएं बिना जल और अन्न के दिनभर व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।