नारी डेस्क: हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत विशेष महत्व रखता है, खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधि विधान के साथ भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। चंद्रमा की आराधना के बाद अर्घ्य देने के साथ व्रत को समाप्त किया जाता है। इस साल कई नवविवाहित महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही होंगी। ऐसे में उन्हें कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए ताकि उनका व्रत सफल हो सके।
नवविवाहितों के लिए विशेष नियम
सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें
नवविवाहित महिलाओं को सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करना चाहिए। यह व्रत की शुरुआत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे दिनभर ऊर्जा मिलती है।
श्रृंगार और पूजा
करवा चौथ के दिन नवविवाहित महिलाएं पारंपरिक शादी के जोड़े पहनकर 16 श्रृंगार करें। प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही, सोलह श्रृंगार का सामान माता पार्वती को अवश्य अर्पण करें। इस दिन हाथों में मेहंदी लगाना भी शुभ माना जाता है।
करवा चौथ की कथा सुनें
पूजा आराधना के बाद करवा चौथ की कथा सुनना भी आवश्यक है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस कथा को सुनने से व्रत के शुभ फल की प्राप्ति होती है।
चंद्रमा को अर्घ्य दें
नवविवाहित महिलाएं शादी का जोड़ा पहनकर पूजा की थाली सजाएं, जिसमें रोली, कुमकुम, चंदन, सिंदूर, छलनी और एक लौटा जल अवश्य होना चाहिए। इसके बाद, चंद्रमा को अर्घ्य दें।
पति के हाथों से व्रत तोड़ें
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद, महिलाएं छलनी से अपने पति का चेहरा देखें और पति के हाथों से मायके से लाए गए फल और मिठाई खाकर व्रत का पारण करें।
भूलकर भी न करें ये गलतियां
करवा चौथ के दिन कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है
1. शादी का जोड़ा पहने बिना और बिना सोलह श्रृंगार किए पूजा नहीं करनी चाहिए।
2. चंद्रमा को अर्घ्य देने से पहले पूजा नहीं करनी चाहिए।
3. व्रत का पारण हमेशा पति के हाथों से ही करना चाहिए, वरना व्रत निष्फल हो जाएगा।
करवा चौथ का व्रत एक विशेष अवसर है, जो न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाता है, बल्कि एक पत्नी की
भक्ति और प्रेम को भी दर्शाता है। सही नियमों का पालन करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर सकती हैं और इस दिन को विशेष बना सकती हैं।