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Bullying का शिकार तो नहीं हो रहा आपका बच्चा, दिखेंगे ये 5 बदलाव

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 01 May, 2019 04:25 PM
Bullying का शिकार तो नहीं हो रहा आपका बच्चा, दिखेंगे ये 5 बदलाव

अक्सर बच्चे स्कूल या प्लेग्राउंड में बुलिंग का शिकार हैं। सीनियर स्टूडेंट, क्लासमेंट या दूसरे बच्चे कई बार बच्चे को मारते-पिटने भी लग जाते हैं लेकिन बुली हो रहा बच्चा टीचर या माता-पिता से कुछ नहीं कहता। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए अगर उनका बच्चा चुपचाप है या किसी से कोई बात नहीं कर रहा तो वह उसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करें। इसके लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी और सतर्क भी रहना होगा। बुली होने पर बच्चों के बर्ताव में थोड़ा फर्क आ जाता है, जिसे पहचानकर आप उन्हें इस क्राइम का शिकार होने से बचा सकते हैं।

 

बुली हो रहे बच्चों में आते हैं ये बदलाव
अक्सर सिरदर्द रहना

बुली हो रहे बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं लेकिन वो इस बारे में खुलकर नहीं कह पाते। ऐसे में स्कूल ना जाने के लिए सिरदर्द या पेट दर्द के बहाने बनाते हैं। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं कि वह झूठ बोल रहा हो। ऐसा भी हो सकता है कि डर के कारण उसे वाकई में दर्द हो। ऐसे में उनसे खुलकर बात करें और वजह जानने की कोशिश करें।

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नंबर ना लाना

जरूरी नहीं कि बच्चा हमेशा फर्स्ट आए लेकिन अगर वह पहले से भी कम नबंर लाने लगे तो एक साइन हो सकता है। दरअसल, इस वजह से बच्चे एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं, जिससे वो पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते। इतना ही नहीं, इससे बच्चे डिप्रेशन और अनिद्रा का शिकार भी हो सकते हैं।

खेलने में मन न लगना

बच्चों का खेलने का मन ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता लेकिन अगर आपका बुली हो रहा है तो वो बाहर खेलने से भी डरेगा। अगर आपका बच्चा भी बाहर जाने से डरता है और दूसरों बच्चों से बात भी नहीं करता तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

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शरीर पर चोटें

खेल-कूद में अक्सर बच्चों को चोट लग जाती है लेकिन अगर बच्चा अक्सर चोट खाकर घर आए तो स्कूल जाकर इस बारे में पता करें। साथ ही आप अपने बच्चे से बात करें या उसे किसी साइकोलॉजिस्ट के पास लेकर जाएं।

भूख न लगना

स्कूल से टिफिन वापिस लाना या घर में भी ठीक से ना खाना भी बच्चे के बुली होने का साइन हो सकता है। अक्सर इस वजह से बच्चे खाना पीना छोड़ देते हैं इसलिए आपको उनकी डाइट पर खास ध्यान देना चाहिए।

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बच्चे को इस हादसे से कैसे उभारे?

दादागिरी, धौंस, बेइज्जती, आलोचना, ये सारी वो चीजे हैं, जिन्हें झेलने के बाद किसी में भी आत्मविश्वास में कमी आ जाए। वैसे तो हर मोड़ में इसका शिकार होना खतरनाक है लेकिन सबसे डेंजर्स बचपन में इसका शिकार होना है क्योंकि इससे बच्चे के मन में डर बैठ जाता है, जो जिंदगीभर नहीं जाता। हालांकि जब बच्चे थोड़ा बड़े हो जाए तो इस दर्द उन्हें इससे उभारा जा सकता है।

-अक्सर बच्चे अपने साथ हुए हादसे को स्वीकार नहीं करते लेकिन इससे डर कभी नहीं जाता। ऐसे में आप उस घटना को स्वीकार करने में बच्चे की मदद करें।
-बच्चों को लगता है कि इसमें उनकी गलती है, जबकि ऐसा नहीं होता। ऐसे में आप उन्हें समझाने की कोशिश करें कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी।
-बच्चों की सेहत पर ध्यान दें क्योंकि बुलिंग से मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि शारीरिक नुकसान भी होते हैं। ऐसे में उनकी डाइट में हेल्दी चीजें शामिल करें।
-डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात करें क्योंकि अगर उन्हें पूरा मामला पता होगा तभी वह आपकी मदद कर पाएंगे।
-बच्चों को कहीं घूमाने के लिए बाहर ले जाएं। साथ ही उन्हें हादसे वाली जगह से भी दूर रखें। इससेवह जल्दी रिकवरी कर पाएंगे।

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