बदलते मौसम के साथ दिल्ली समेत भारत के कई सारे शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते लोगों को सांस संबंधी समस्याएं होने लगती है। प्रदूषित हवा के चलते आंखों में जलन, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, उल्टी जैसी परेशानियां होने लगती है। इसके अलावा ज्यादा देर तक वायु प्रदूषकों के संपर्क में रहने के कारण अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी श्वसन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। वायु प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन और नाइट्रोजन ऑक्साइड विशेष रुप से हानिकारक हैं जो फेफड़ों की सूजन बढ़ाते हैं और इसकी कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। वायु प्रदूषण के प्रभाव में आने से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। कमजोर इम्युनिटी के कारण बच्चे और बुजुर्ग इससे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
दिल्ली की हवा हुई खराब
रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली में एयरक्वालिटी काफी खराब हो चुकी है। हाल ही में एक्यूआई 303 दर्ज हो चुका है।एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषण के चलते अस्थमा और सीओपीडी अटैक्स का सामना करने वाले रोगियों की वृद्धि हुई है। हालांकि जो लोग कुछ समय के लिए ठीक थे उनमें भी गंभीर रुप से खांसी, घरघराहट, सांस फूलने और रात की नींद प्रभावित हो सकती है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि किसी भी तरह की खुद से कोई एंटीबॉयोटिक दवाई न लें, इसके अलावा सुबह की स्मॉगी हवा में जल्दी बाहर न निकलें। इसके अलावा फेफड़ों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं।
एक्वाई का रखें ध्यान
यदि आप चाहते हैं कि बढ़ते वायु प्रदूषण का असर स्वास्थ्य पर न पड़े तो नियमित रुप से अपने शहर की हवा की गुणवत्ता देखते रहें। रोजाना की हवा की स्थिति देखने के लिए AirNow.gov के द्वारा बताए गए नियमों का पालन करें, जिसके जरिए आप अपने बाहरी कामों का ध्यान रख सकते है। जब हवा की गुणवपत्ता सही नहीं है तो आउटडोर एक्सरसाइज और हाई ट्रॉफिक एरिया में जाने से बचें।
इनडोर एयर क्वालिटी का भी रखें ध्यान
बाहरी हवा के साथ-साथ इनडोर एयर क्वालिटी का भी ध्यान रखें। घर के अंदर किसी भी तरह की लकड़ी या कचरा न जलाएं और यह ध्यान रखें कि आपका घर हवादार है। सैकेंड हैंड और थर्ड हैंड धुएं से दूर रहें। इंडोर प्रदूषण के कण आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मास्क पहन कर रखें
जब भी घर के बाहर जाएं तो भी अपना पूरा ध्यान रखें, ऐसे रास्ते चुनें जो सड़क के पास हों और वायु प्रदूषण का जोखिम कम करें। यदि वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा है तो घर से बाहर निकलने से पहले मास्क लगाएं। इसके अलावा शारीरिक गतिविधि कम करें।
एयर प्यूरिफॉयर करें इस्तेमाल
वैज्ञानिकों की मानें तो एयर प्यूरिफॉयर भी प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में यदि समस्या बढ़ती है तो आप इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।