कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देशभर में कोहराम मचाया हुआ है। हर दिन कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। बेशक कोरोना को हराने के लिए वैक्सीनेशन की जा रही है लेकिन इस बीच प्लाज्मा थेरेपी एक नई किरण बन कर सामने आई है। कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए कई देशों में दवाओं के साथ प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है प्लाज्मा थेरेपी और कैसे करती है काम...
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
इस थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है। फिर इसे संक्रमित मरीज को चढ़ाया जाता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनती है और उनके शरीर को वायरस से लड़ने में मदद मिलती है।
कैसे लिए जाते हैं प्लाज्मा?
खून से प्लाज्मा लेने के दो तरीके हैं। पहला- जिसमें अपकेंद्रित्र तकनीक यानी सेंट्रिफ्यूज तकनीक से 180 मि.ली से 220 मि.ली तक कन्वेंशनल सीरा यानी प्लाज्मा ले सकते हैं।
दूसरा- एफ्रेसिस मशीन/सेल सेपरेटर मशीन का यूज करके एक बार में 600 मि.ली प्लाजमा लिया जा सकता है।
कौन दान कर सकता है प्लाज्मा?
. कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके 18-60 के लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
. जिन लोगों को वजन 50 किलोग्राम या उससे ज्यादा हो
. पूरी तरह से फिट लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं
. डोनर का हीमोग्लोबिन काउंट 8 से ऊपर हो
कौन नहीं कर सकता डोनेट?
. 50 किलो से कम वजन के लोग
. प्रेग्नेंट महिला भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती
. कैंसर का मरीज
. हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारी वाले लोग
क्या सच में कारगर है प्लाज्मा थेरेपी?
फिलहाल इस बात के पक्के सबूत नहीं है कि यह थेरेपी सही तरीके से काम करती है या नहीं। हालांकि भारत में कुछ कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी अजमाई गई है, जिसके रिजल्ट काफी अच्छे मिले।
प्लाज्मा थेरेपी में क्या लाभ मिल?
1. लंग इंफेक्शन जल्दी ठीक होता है
2. बाकी इलाजों से सस्ता
3. मरीजों में रेस्पिरेटरी रेट सुधरा
4. ऑक्सीजन रेट सुधरा
क्या कोरोना से ठीक हुआ मरीज बन सकता है डोनर?
अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो गया है तो वह प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। मगर, व्यक्ति कोरोना नेगेटिव आने के 2 हफ्ते बाद ही प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
प्लाज्मा देने से नहीं होगा कोई नुकसान
प्लाज्मा देने से डोनर को कोई खतरा नहीं है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति के शरीर से एक मशीन द्वारा खून निकालकर प्लाज्मा निकाला जाता है और फिर बाकी खून शरीर में वापस डाल दिया जाता है। इससे शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती और प्लाज्मा भी दोबारा बनने लगता है। फिर अगर कोई चाहे तो एक हफ्ते बाद दोबारा प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।