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शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी को कश्मीरी लड़के के साथ तस्वीर पर किया गया ट्रोल...

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 05 May, 2025 01:04 PM
शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी को कश्मीरी लड़के के साथ तस्वीर पर किया गया ट्रोल...

 नारी डेस्क: पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल को सोशल मीडिया पर भारी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में हिमांशी द्वारा मुस्लिमों और कश्मीरियों को लेकर दिए गए बयान के बाद कुछ यूज़र्स ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट से एक कश्मीरी युवक के साथ तस्वीर शेयर कर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

क्या है पूरा मामला?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में विनय नरवाल की शहादत हुई थी। हमले के बाद उनकी पत्नी हिमांशी ने एक बयान में कहा था, “जो लोग मेरे पति की मौत के ज़िम्मेदार हैं उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन इसकी आड़ में सभी कश्मीरियों और मुस्लिमों को निशाना बनाना सही नहीं है।” हिमांशी का यह बयान वायरल होते ही कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने उनकी नीयत पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। कुछ ने उनके पुराने इंस्टाग्राम पोस्ट खंगाले और एक तस्वीर को लेकर दावा किया कि वे कश्मीरी लड़कों के संपर्क में थीं। साथ ही कहा गया कि इतनी जल्दी वह सोशल मीडिया पर सक्रिय कैसे हो सकती हैं?

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डिटेक्टिव खेल या ट्रोलिंग?

एक यूज़र ने लिखा-“किसी लड़की का पति शहीद हो जाता है और वो रात 1 बजे तक इंस्टाग्राम चला रही है? फिर उसके फॉलो लिस्ट में गाज़ा, ईरान, सीरिया तक के लोग क्यों हैं?” इस तरह की पोस्ट के जरिए हिमांशी को 'एक्सपोज़' करने की मुहिम सी छेड़ दी गई है। इस बहाने उनकी देशभक्ति और भावनाओं पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

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एनआईए जांच की मांग

कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने तो इस मामले की जांच के लिए एनआईए (NIA) से अपील की है कि हिमांशी नरवाल के सोशल मीडिया अकाउंट्स की फॉरेंसिक जांच कराई जाए, जिससे "सच्चाई सामने आ सके।" हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सोशल मीडिया पर दो धड़े

इस मामले में इंटरनेट दो भागों में बंट गया है — एक वर्ग हिमांशी का समर्थन कर रहा है, यह कहते हुए कि उनका बयान संवेदनशील और संतुलित था। वहीं दूसरा वर्ग उनकी नियत और सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर सवाल उठा रहा है।

 हिमांशी नरवाल का दर्द, उनका बयान और अब इस पर हो रही ट्रोलिंग – यह सब एक शहीद की पत्नी के लिए मानसिक तौर पर बेहद तकलीफदेह है। सवाल यह भी है कि क्या हम एक गहरे व्यक्तिगत नुकसान से जूझ रही महिला की सार्वजनिक ज़िंदगी का इस तरह पोस्टमार्टम करना सही है?

  

 

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