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Heart Attack से बचाव के बाद भी पूरी तरह रिकवर नहीं करती बॉडी ! आ सकती हैं ये परेशानियां

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 07 Jun, 2023 06:45 PM
Heart Attack से बचाव के बाद भी पूरी तरह रिकवर नहीं करती बॉडी ! आ सकती हैं ये परेशानियां

स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल होना भी बहुत जरुरी है, लेकिन कोरोना काल के बाद से कमजोर दिल वाले लोगों की लिए सेहत का खतरा बढ़ गया है। ब्लड वेसल्स में होने वाले थक्के हार्ट अटैक का कारण बनते हैं और इसे जानलेवा बनते देर नहीं लगती है। कोरोना महामारी ने दिल के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा कर दिया है। पहले सिर्फ ज्यादा उम्र के लोग दिल के दौरे की जद में आते थे लेकिन अब कम उम्र के फिट लोग भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि दिल का दौरान सही समय पर सीरीआर मिलना और सही उपचार होने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उपचार के बाद दिल का मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। दिल के दौरे से बचने और सही इलाज के बावजूद शरीर पूरी तरह स्वस्थ नही होता। हार्ट अटैक के उपचार के बाद कई दिनों तक मरीज के शरीर में कई सारे कॉम्पिलेकेशन होते हैं जिनसे डील करना काफी मुश्किल होता है।

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कमजोर होती हैं मांसपेशियां

हार्ट अटैक से उबरने के काफी वक्त बाद तक मरीज के हृदय की मांसपेशियां कमजोर रहती है। मांसपेशियों को पोषण की कमी और ब्लड आपूर्ति में दिक्कत के चलते दिल की धड़कनें काफी समय तक अनियमित रहती हैं।  ऐसे में दिल की मांसपेशियों भी काफी कमजोरी के चलते हमेशा खतरे की जद में रहती हैं। 

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मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है असर  
दिल के दौरे के बाद मरीज की मानसिक सेहत पर भी खासा असर पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट ने इसे ब्रेन एजिंग का नाम दिया है। हार्ट अटैक के बाद मरीज के दिमाग की उम्र बढ़ जाती है और इससे सोचने, फोकस करने, और याद करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

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लंबे जीवन की संभावना पर पड़ता है असर  
हार्ट अटैक के बाद मरीज की जीवन की संभावना कम होती है और लाइफ एक्सपेक्टेंसी करीब दस फीसदी तक घट जाती है। यानी स्वस्थ रहने पर अगर वो व्यक्ति 90 साल का जीवन जीता, तो हार्ट अटैक के बाद उसके जीवित रहने के सालों में दस फीसदी कमी आ जाती है। हालांकि ऐसा केवल दिल के दौरे के चलते ही नहीं होता , अन्य कई सारे स्वास्थ्य संबंधी कारक इसमें भूमिका निभाते हैं।

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