05 DECFRIDAY2025 2:50:58 PM
Nari

खुले में धूम्रपान पर बैन, नियम तोड़ने पर लगेगा ₹13,000 तक जुर्माना

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 31 May, 2025 11:58 AM
खुले में धूम्रपान पर बैन, नियम तोड़ने पर लगेगा ₹13,000 तक जुर्माना

नारी डेस्क: फ्रांस सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए खुले में धूम्रपान (स्मोकिंग) करने पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला किया है। यह फैसला बच्चों और आम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अगर कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर 135 यूरो यानी करीब ₹13,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसकी घोषणा फ्रांस की स्वास्थ्य और परिवार मंत्री कैथरीन वाउट्रिन ने की है। यह नया नियम 1 जुलाई 2025 से लागू होगा।

किन जगहों पर धूम्रपान रहेगा बैन?

फ्रांस सरकार ने साफ किया है कि उन सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना बैन रहेगा, जहां आमतौर पर बच्चे या परिवार ज्यादा होते हैं। इनमें शामिल हैं-

समुद्र तट (बीच)

सार्वजनिक पार्क

बस स्टॉप

खेल के मैदान (स्पोर्ट्स ग्राउंड)

इन सभी स्थानों पर अब धूम्रपान करना गैरकानूनी होगा।

PunjabKesari

कहां लागू नहीं होगा यह नियम?

कैफे या रेस्टोरेंट की खुली छतों (Terraces) पर धूम्रपान की अनुमति अभी भी बनी रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (E-Cigarette) फिलहाल इस प्रतिबंध से बाहर रहेंगी।

ये भी पढ़ें: World No Tobacco Day 2025: वेपिंग, स्मोकिंग का नया ट्रेंड कितना खतरनाक? जानें 5 साइड इफेक्ट्स

बच्चों को बचाने के लिए लिया गया फैसला

स्वास्थ्य मंत्री कैथरीन वाउट्रिन ने कहा कि जहां बच्चे मौजूद होते हैं, वहां तंबाकू और धुएं का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, "धूम्रपान की आज़ादी वहीं खत्म हो जाती है, जहां किसी बच्चे को स्वच्छ हवा में सांस लेने का हक शुरू होता है।" सरकार का मकसद है कि बच्चों को सेकेंड-हैंड स्मोक (दूसरे के धुएं से होने वाले नुकसान) से बचाया जाए और फ्रांस में धूम्रपान की आदत को धीरे-धीरे खत्म किया जाए।

जनता का समर्थन

हाल ही में एक सर्वे में सामने आया कि 62% फ्रांसीसी नागरिक सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर बैन लगाने के पक्ष में हैं। इससे यह भी साबित होता है कि जनता भी इस कदम को एक सकारात्मक बदलाव मान रही है।

PunjabKesari

फ्रांस सरकार का यह कदम देश की अगली पीढ़ी को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने की दिशा में एक मजबूत पहल माना जा रहा है। अगर बाकी देश भी इस तरह के फैसले लें, तो बच्चों को स्वस्थ वातावरण देना और भी आसान हो जाएगा।  


 

Related News