मूल से ब्याज अधिक प्यारा होता है। यह प्राचीन कहावत उन बुजुर्ग लोगों के लिए है जो अपने बच्चों से ज्यादा पोती पोते को प्यार करते हैं। कहा जाता है कि पोती पोते अपने पुत्र की संतान होने के नाते ब्याज की तरह अधिक प्रिय होते हैं और यह एक अध्ययन में भी साफ हो गया है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है कि दादा-दादी सबसे ज्यादा प्यार अपने बच्चों से ज्यादा पोता-पोती से करते है।
दादा-दादी होते हैं सबसे अच्छे दोस्त
कहा तो यह भी जाता है कि बच्चों के भी सबसे अच्छे दोस्त उनके दादा-दादी ही होते हैं। तभी तो पोता-पोती और दादा-दादी के बीच का रिश्ता सबसे Healthy भी माना जाता है। बच्चों के साथ बच्चा बन कर दादा दादी अपने बुढ़ापे को भूल जाते हैं। वह उनसे उतना ही प्यार करते हैं, जितना कोई बच्चा खिलौने से करता है। खिलने का टूटना खोना या नुकसान पहुंचाने पर बच्चों को बुरा लगता है इसी तरह पोते पोतियों की तकलीफ़ अपने से अलग रहना अच्छा नहीं लगता।
दादियों के दिमाग का किया गया स्कैन
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हाल ही में कुछ दादियों के दिमाग को उस वक्त स्कैन किया, जब वे अपने पोते-पोतियों की तस्वीरों को देख रहे थे। इस तस्वीरों को देखते हुए उनके मस्तिष्क के भावनात्मक सहानुभूति से संबंधित क्षेत्र सक्रिय हो गए। इसके विपरित जब पोते-पोतियों की बजाय बेटे और बेटियों की तस्वीरें दिखाई गई तो उनके मस्तिष्क में ज्यादा बदलाव नहीं देखे गए।
पोता-पोती को आगे बढ़ने के लिए करते हैं प्रेरित
अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि संतानें माता-पिता को अधिक समझती हैं, लेकिन भावनात्मक लगाव पोते-पोती और दादी के बीच अधिक होता है। दादा-दादी हमेशा अपने पोता-पोती को जिंदगी मे आगे जाने के लिये प्रेरित करते है और वह उनके साथ किसी भी हालत मे खडे़ रहते है। अकसर देखा जाता है कि अगर बच्चों के माता-पिता झगड़ रहे हैं तो वह भागता हुआ दादा-दादी के पास पहुंच जाता है। क्योंकि उनके पास वह सुरक्षित महसूस करता है।
जिंदगी के हर संस्कार देते हैं दादा-दादी
यह प्रकृति का नियम है कि नदिया पहाड़ों से नीचे उतर कर बहती है उल्टे नहीं चढ़ती। इस तरह भले ही पोते पोतियों के मन में अपने दादा दादी के प्रति असीम प्यार न हो पर उनके लिए अपने बेटे बेटी से अधिक प्यार होता है। जिंदगी के हर संस्कार बच्चो पर मां बाप से ज्यादा उनके दादा-दादी देते है। यह भी देखा जाता है कि अगर मां बाप कुछ बालते हैं तो बच्चे उन पर ध्यान नहीं देते लेकीन जब दादा-दादी उनसे बात करते है, तब वह उसपर जरूर ध्यान देते हैं।