मां बनना आसान काम नहीं है, खासतौर पर जो औरत पहली बार मां बनी है, उसके लिए शिशु को संभालना काफी मुश्किल काम है। ऐसे बहुत सी छोटी-छोटी बातें हैं जो बच्चे को खिलाते, पिलाते और सुलाते वक्त आपको ध्यान में रखनी जरूरी हैं। आइए जानते हैं उन छोटी-छोटी बातों के बारे में विस्तार से...
गोद में उठाते वक्त
शिशु को गोद में उठाने से पहले ध्यान में रखें कि आपके हाथ एक दम साफ होने चाहिए। ऐसे में बच्चे को एक दम से कभी भी उठाना पड़ सकता है तो अपने हाथ समय समय पर धोते रहें।
हल्के हाथों से पकड़े
बच्चे की हड्डियां और स्किन बहुत नाजुक होती है। ऐसे में बच्चे को हमेशा नर्म हाथों से पकड़ें। खासतौर पर बच्चे की गर्दन को जरूर सुपोर्ट दें। इस वक्त बच्चे की गर्दन में आया हल्का सा झटका बड़ी परेशानी दे सकता है, क्योंकि बच्चे की रीढ़ की हड्डी का अभी निर्माण होना बाकी होता है।
नींद से उठाते वक्त
वैसे तो नवजात को नींद से जगाना नहीं चाहिए, मगर यदि किसी कारणवश आपको छोटे बच्चे को नींद से जगाना पड़ रहा है तो उसके पैर पर हल्की सी चकौटी काटें। इससे बच्चा डरकर नहीं उठेगा। जो बच्चे डरकर उठते हैं, उनका दिल कमजोर होने लगता है, दिमागी स्तर पर भी वजह बच्चे अच्छे से विकास नहीं कर पाते।
स्तनपान करवाते समय
बच्चा जब मां का दूध पीता है तो वह केवल अपने नाक द्वारा सांस लेता है, ऐसे में ध्यान रखें कि उसका दम न घुटे। दूध पिलाते वक्त मां को बच्चे को धीरे से सीने के साथ लगाकर रखना चाहिए, ज्यादा जोर लगाकर बच्चे को पकड़ने से बच्चा ठीक से दूध हजम नहीं कर पाता।
दूध पिलाते वक्त ध्यान दें
कुछ बच्चे मां का दूध नहीं हजम कर पाते, तो ऐसे में आप उन्हें पाउडर वाला दूध पिलाएं। पाउडर वाला दूध बोतल में डालकर पिलाने से पहले बोतल को गर्म पानी में उबाल लें। बोतल में बचा दूध फ्रिज में न रखें, न ही उस दूध को दोबारा बच्चे को पिलाएं। हर 3 घंटे में बच्चे को दूध पिलाते रहें।
सुलाने का सही वक्त
नवजात शिशु को 15 से 16 घंटे की नींद जरूरी है। इससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास अच्छे से होता है। अगर कमरे में एयर कंडीशनर लगा है तो बच्चे को हल्के स्टफ का कंबल जरूर दें, गर्म कपड़ों के साथ बच्चे को नींद अच्छी आती है। मगर गर्मी ज्यादा भी महसूस नहीं होनी चाहिए, गर्मी बच्चे के दिमाग को भी चढ़ सकती है।
डॉक्टर का नंबर
बच्चे को किसी भी वक्त कोई परेशानी हो सकती है, ऐसे में अपने पास ऐमरजेंसी के लिए डॉक्टर का नंबर हमेशा रखें। तकलीफ बढ़ती दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।