पिछले कुछ दिनों से सर्वाइकल कैंसर लगातार सुर्खियों में है। एक्ट्रेस पूनम पांडे ने कैंसर की जागरूकता के लिए जहां सोशल मीडिया पर अपनी मौत की फर्जी खबर चलाई, वहीं 2024-2025 के अंतरिम बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण का ऐलान किया था। बस साल की शुरूआत पर ही सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी बड़ी खबरों ने लोगों का ध्यान इस ओर खींच लिया है। ये कैंसर जानलेवा है और ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं का कैंसर से मौत का दूसरा बड़ा कारण है। ग्लोबोकैन 2022 (GLOBOCAN 2022) के आंकड़ों के अनुसार, गर्भाशय ग्रीवा (बच्चेदानी के कैंसर) के कैंसर की मृत्यु दर 9 है और दुनिया भर में इससे 3,48,186 मौते होती हैं।
महिलाओं में लगातार बढ़ता सर्वाइकल कैंसर का कहर
हाल में हुई स्टडी से इस बात का खुलासा हुआ है कि निम्न और मध्यम आय (low and medium income countries) वाले देशों में सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु का दर ज्यादा है। ऐसे देशों में 90 प्रतिशत महिलाओं मौतें इस कैंसर से होती हैं। एचपीवी (HPV) सूचना केंद्र की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। लगभग 5 प्रतिशत यानी, 2,56,114 भारतीय महिलाएं किसी भी समय ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) से पीड़ित रहती हैं।
असुरक्षित संबंध बनाना है सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण
डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (HPV) संक्रमण के कारण होता है। इस संक्रमण के कारण सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। माना जाता है कि असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर ये फैलता है। इंटरकोर्स में एक्टिव 80% महिलाएं अपनी लाइफ में कम से कम एक बार जरूर HPV संक्रमण के संपर्क में आते हैं हालांकि ये संक्रमण थोड़े समय के लिए ही रहता है लेकिन जो लोग HPV से एक से अधिक बार संक्रमित होते हैं या उनमें HPV संक्रमण वर्षों तक रहता हैं उन्हें इस कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। बता दें कि यह इंफेक्शन शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है। इसके अलावा प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई ना रखने, कम उम्र में शादी और प्रेगनेंसी, गर्भनिरोधक गोलियां, ज्यादा पार्टनर के साथ इंटरकोर्स, कमजोर इम्यूनिटी और स्मोकिंग के चलते भी इस कैंसर का खतरा रहता है।
इन लक्षणों पर करें गौर
इस कैंसर के लक्षणों की बात करें तो बीमारी के लक्षण आखिर तक पहचानने मुश्किल हो जाते हैं। यह बीमारी सालों साल छिपी रहती है। भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्ट हो पाता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं। वहीं शरीर में हुए कुछ बदलावों से इसे पहचाना जा सकता है।
जैसे यूरीन पास करते दर्द होना या बार बार यूरिन आना।
यूरिन पर कंट्रोल नहीं रहना और ब्लड आना।
इंटरकोर्स के समय दर्द होना।
पीठ और पेल्विक हिस्से में दर्द ।
सर्वाइकल कैंसर का इलाज है बस ये वैक्सीनेशन
हालांकि इस कैंसर की रोकथाम काफी हद का मुमकिन है। एचपीवी वैक्सीनेशन और रेगुलर स्क्रीनिंग से काफी हद तक इस कैंसर से बचाव संभव है। फिर भी, सर्वाइकल कैंसर से लड़ने में काफी बाधाएँ हैं। दरअसल, एचपीवी वैक्सीन काफी महंगी होती है और हर भारती महिला के लिए इसे खरीद संभव नहीं है। बड़ी- बड़ी फार्मा द्वारा बनाई इस वैक्सीन को 2,000-4,000 रुपये तक की कीमत में बेचा जा रहा है। इसके अलावा, वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी व्यापक सर्वाइकल कैंसर कार्यक्रम या नीति नहीं है जिसके लिए बड़ी फार्मा कंपनियों को एचपीवी टीकों को अनुकूल और रियायती दरों पर आपूर्ति करने की आवश्यकता हो। हालांकि अब 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्क सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला लिया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जागरूकता तो होगी ही, साथ में इस कैंसर से बचाव भी मुमकिन होगा।