राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न भागों में ईद का चांद नजर आने के बाद सभी बड़ी मस्जिदों और संगठनों की कमेटियों ने ईद का चांद निकलने की पुष्टि करते हुए शनिवार को देशभर में ईद का त्योहार मनाए जाने का ऐलान किया दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने देशभर के मुसलमानों को ईद की मुबारकबाद दी है।
रमजान के पवित्र महीने के अंत में मनाया जाने वाला ईद-उल-फितर का त्योहार आपस में खुशियां साझा करने का एक शुभ अवसर है। सभी लोग इसे मिलजुल कर बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। कश्मीर घाटी में रोजा का महीना समाप्त होने के साथ ही शनिवार को ईद-उल-फितर मनाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
उत्तर प्रदेश में पवित्र रमजान माह के अंतिम शुक्रवार को सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम के बीच अलविदा की नमाज अदा की गयी। लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा और टीले वाली मस्जिद समेत सैकड़ों मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गयी। ईद का पर्व भेदभाव को समाप्त कर सभी इंसानों को आपस में जोड़ने, सभी के प्रति दया, करुणा, आत्मीयता, मानवता और इंसानियत का संदेश देता है।
ईद का दिन ईनाम का दिन है। यहां सभी लोग एक-दूसरे के पर्व त्याहारों में शामिल होकर खुशियां बांटते हैं और एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करते हैं। इसी से प्रदेश एवं देश को मजबूती मिलती है। इस बार रमज़ान का महीना 29 दिन का रहा। हालांकि बीते दो साल में यानी 2022 और 2021 में यह (रमजान महीना) 30-30 दिन का था। इस्लामी कलेंडर के मुताबिक, एक महीने में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करता है।
क्या करना चाहिए ईद वाले दिन
वैसे तो ईद खुशियां मनाने का एक पवित्र त्योहार है। लेकिन इसे मनाने के कुछ नियम भी हैं। जिनका पालन करना भी बहुत ही आवश्यक है। इस दिन की शुरुआत सुबह प्रात उठकर फजर की नमाज पढ़ने से होती है। फिर स्वंय की साफ-सफाई करके, साफ कपड़े पहनकर, इत्र लगाकर, कुछ खाने वाली चीज का सेवन करके दरगाह में जाकर नमाज पढ़ें। इस नमाज को खुले में ही पढ़ा जाता है। इस दिन ईदगाह से आने और वहां पर जाने के लिए मुस्लिम लोग अलग-अलग राहों का इस्तेमाल करते हैं।
आखिर चांद को क्यों देखकर मनाई जाती है ईद
रमजान के महीने में रोजे रखने के बाद ही ईद का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। ईद के त्योहार का चांद से बहुत ही गहरा संबंध हैं। इस महीने में मनाई जाने वाली ईद को ईद-उल-फितर का कहा जाता है। रमजान के महीने के बाद नए महीने की शुरुआत के तौर पर ईद का त्योहार मनाया जाता है और इसे शव्वाल कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जब तक चांद न दिखे रमजान खत्म नहीं होता और शव्वाल भी शुरु नहीं हो सकता। इसलिए चांद देखकर ही ईद को पूरा माना जाता है।