नारी डेस्क: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और इस समय स्थिति बेहद गंभीर मानी जा रही है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार पहुँच चुका है, जो कि सीवियर कैटेगरी है। ऐसी हवा में स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत होती है, जबकि दमा, अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों के लिए यह स्थिति और खतरनाक बन जाती है। हवा में मौजूद जहरीले कण दिल और फेफड़ों पर सीधा प्रभाव डालते हैं और लंबी अवधि में गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक स्वास्थ्य आपातकाल जैसा माहौल है, जिसमें लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
डॉक्टर्स का सुझाव: “संभव हो तो कुछ दिनों के लिए दिल्ली-एनसीआर छोड़ दें”
हवा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कई डॉक्टर मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि यदि संभव हो तो कुछ दिन या कुछ सप्ताह के लिए दिल्ली-एनसीआर से बाहर किसी साफ-सुथरी जगह पर रहें।
पूर्व एचओडी, एम्स व वर्तमान में पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. खिलनानी ने कहा था कि आने वाले सप्ताह लोगों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का यह स्तर वायरल या बैक्टीरियल निमोनिया को ज्यादा घातक बना सकता है और इसकी वजह से गंभीर मरीजों में मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर सांस के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों को शहर की इस जहरीली हवा से बचाने की सलाह दे रहे हैं।
सोशल मीडिया पर चर्चित हुआ प्रदूषण का असर
दिल्ली की खराब होती हवा सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए ही चिंता का विषय नहीं रही। सोशल मीडिया पर एक अमेरिकी महिला का पोस्ट वायरल हुआ, जिसमें बताया गया कि दिल्ली की जहरीली हवा के कारण वह मजबूर होकर बेंगलुरु शिफ्ट हो रही है। कई परिवार भी बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए कुछ समय के लिए दिल्ली छोड़कर जा रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि राजधानी की हवा कितनी खतरनाक हो चुकी है और यह लोगों की जीवनशैली को किस तरह प्रभावित कर रही है।
सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे बच्चे—एक्सपर्ट्स की चेतावनी
नोएडा स्थित यथार्थ अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. पोटलुरी चेतन का कहना है कि बच्चों पर प्रदूषण का असर सबसे तेज़ और गंभीर होता है, क्योंकि उनके फेफड़े अभी विकसित हो रहे होते हैं। वे बताते हैं कि लगातार खराब हवा के संपर्क में आने से बच्चों में निमोनिया, गले-नाक की सूजन, स्किन एलर्जी, आंखों में जलन, खर्राटे, घरघराहट और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन तेजी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से बच्चों के फेफड़े कमजोर हो सकते हैं, जिससे भविष्य में दमा, एलर्जी और अन्य गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि माता-पिता को बच्चों को इस जहरीली हवा से हर संभव तरीके से बचाना चाहिए।
प्रदूषण बढ़ते ही रेस्पिरेटरी मरीजों की हालत बिगड़ रही
अस्थमा, सीओपीडी और सांस की पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह मौसम बेहद कठिन हो गया है। डॉक्टरों के पास ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिनकी सांस फूलने लगी है, सीने में भारीपन बढ़ गया है या खांसी लगातार बनी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण शरीर में सूजन बढ़ाता है, जिससे पहले से बीमार व्यक्ति की हालत अचानक बिगड़ सकती है। ऐसे मरीजों को विशेष सावधानी बरतने, दवाइयाँ नियमित लेने और बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है।
एयर पॉल्यूशन से बचाव के उपाय—डॉक्टर्स की सलाह
डॉक्टर कहते हैं कि भले ही प्रदूषण को तुरंत रोकना संभव न हो, लेकिन उससे बचाव के कई तरीके हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।
बाहर निकलते समय हमेशा N95 मास्क पहनें।
घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें।
कम से कम समय बाहर बिताएं, खासकर सुबह और रात में।
खिड़कियाँ तब ही खोलें जब AQI थोड़ा बेहतर हो।
पानी ज्यादा पिएं ताकि शरीर में हाइड्रेशन बना रहे।
अपने डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयाँ समय पर लें।
बच्चों और बुजुर्गों को जहरीली हवा से दूर रखें।
अगर संभव हो तो सप्ताहभर या कुछ दिनों के लिए साफ-सुथरी हवा वाले शहर जाएं।
डॉक्टर्स भी परेशान—“हम भी इसी जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं”
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि डॉक्टर खुद भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। अस्पतालों में काम कर रहे कई विशेषज्ञों ने बताया कि उन्हें भी सिरदर्द, सांस में तकलीफ, आंखों में जलन और थकान जैसी समस्याएँ हो रही हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि लोगों को प्रदूषण को हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट समझकर सावधानियाँ अपनानी चाहिए। सर्दियों के मौसम में विशेषकर प्रदूषण बढ़ जाता है, इसलिए लोगों को सतर्क रहकर ही अपनी दिनचर्या तय करनी चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर में हालात चिंताजनक, सतर्कता ही सुरक्षा
दिल्ली और आसपास के शहरों में हवा इस समय बेहद खराब है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने न सिर्फ आम लोगों बल्कि विशेषज्ञों को भी चिंतित कर दिया है। डॉक्टरों की सलाह है कि जब तक हवा बेहतर न हो जाए, तब तक लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए और जरूरत पड़े तो शहर से कुछ समय के लिए दूर भी जाना चाहिए।