नारी डेस्क : अब तक पुरुषों की फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता को सिर्फ पिता बनने की योग्यता से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अमेरिका की यूटा यूनिवर्सिटी की एक नई और बड़ी स्टडी ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। इस शोध के मुताबिक, पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता सिर्फ संतान से नहीं, बल्कि पूरे परिवार की सेहत और जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) से भी गहराई से जुड़ी हो सकती है।
क्या कहती है यह नई स्टडी?
यह रिसर्च Utah Population Database के जरिए की गई, जिसमें साल 1996 से 2017 के बीच स्पर्म टेस्ट कराने वाले पुरुषों और उनके तीन पीढ़ियों के करीब 6.6 लाख रिश्तेदारों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया।
रिसर्चर्स ने पुरुषों को तीन कैटेगरी में बांटा
एजोस्पर्मिया (Azoospermia): जिनके वीर्य में स्पर्म बिल्कुल नहीं थे।
ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia): जिनमें स्पर्म काउंट बेहद कम था।
नॉर्मल स्पर्म काउंट: जिनका स्पर्म स्तर सामान्य था।

परिवार के लिए खतरे की चेतावनी
स्टडी के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं। रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों का स्पर्म काउंट कम होता है, उनके माता-पिता, भाई-बहन और बच्चों में समय से पहले मौत का खतरा उन परिवारों की तुलना में कहीं ज्यादा रहता है, जिनमें स्पर्म काउंट सामान्य होता है। इसका साफ मतलब यह है कि कम स्पर्म काउंट केवल एक व्यक्ति की प्रजनन समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे परिवार की सेहत और जीवन प्रत्याशा के लिए खतरे की चेतावनी हो सकती है।
किन बीमारियों से बढ़ता है मौत का जोखिम?
शोध के अनुसार, कम स्पर्म काउंट वाले परिवारों में इन बीमारियों से मृत्यु का खतरा ज्यादा देखा गया।
हृदय रोग (Heart Diseases): हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी समस्याएं।
श्वसन संबंधी रोग: फेफड़ों और सांस की गंभीर बीमारियां।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: डिप्रेशन और मानसिक विकार।
मेटाबॉलिक डिसऑर्डर: डायबिटीज, मोटापा और पाचन से जुड़ी बीमारियां।

उम्र के साथ कैसे बढ़ता है खतरा?
रिसर्च में यह भी सामने आया कि खतरा उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर अलग रूप में दिखाई देता है।
कम उम्र में न्यूरोलॉजिकल और जन्मजात बीमारियों का जोखिम।
बढ़ती उम्र में डायबिटीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और दुर्घटनाओं का खतरा।
लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां तेजी से असर दिखाती हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता है? जानिए वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार इसके पीछे तीन बड़े कारण हो सकते हैं।
जेनेटिक कारण: जो आनुवंशिक समस्याएं फर्टिलिटी को प्रभावित करती हैं, वही आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव: प्रदूषण, केमिकल्स और टॉक्सिन्स का असर एक ही घर में रहने वाले सभी लोगों पर पड़ता है।
लाइफस्टाइल फैक्टर्स: गलत खानपान, तनाव, धूम्रपान और फिजिकल एक्टिविटी की कमी स्पर्म क्वालिटी के साथ-साथ पूरे परिवार की सेहत बिगाड़ती है।
आम लोगों के लिए क्या है इस रिसर्च का संदेश?
यह स्टडी साफ संकेत देती है कि अगर किसी पुरुष को फर्टिलिटी से जुड़ी समस्या है, तो उसे सिर्फ संतान की चिंता तक सीमित नहीं रखना चाहिए। यह पूरे परिवार के स्वास्थ्य का अलार्म हो सकता है।

कैसे कम करें यह खतरा?
नियमित हेल्थ चेक-अप कराएं
संतुलित और पोषक आहार लें
धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं
तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें
रोजाना एक्सरसाइज और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं।
कम स्पर्म काउंट सिर्फ एक प्रजनन समस्या नहीं, बल्कि यह लंबी उम्र और पारिवारिक सेहत से जुड़ा गंभीर संकेत हो सकता है। समय रहते सही कदम उठाकर न सिर्फ अपनी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सेहत को भी सुरक्षित किया जा सकता है।