नारी डेस्क : आजकल टंग स्क्रैपिंग (जीभ साफ करना) सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है। लोग इसे बदबूदार सांस से छुटकारा पाने का आसान और असरदार तरीका बता रहे हैं। कई वीडियो और पोस्ट में दावा किया जाता है कि जीभ पर जमी सफेद परत हटाते ही मुंह एकदम फ्रेश हो जाता है। लेकिन डॉक्टरों की मानें तो यह आदत जितनी फायदेमंद दिखती है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है, खासकर अगर इसे रोज और ज्यादा जोर से किया जाए।
टंग स्क्रैपर कैसे करता है काम?
टंग स्क्रैपर का इस्तेमाल जीभ की ऊपरी सतह पर जमी गंदगी, बैक्टीरिया और खाने के कणों को हटाने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि ब्रश से जीभ साफ करने पर बैक्टीरिया जीभ की दरारों में और अंदर चले जाते हैं, जबकि स्क्रैपर उन्हें बाहर निकाल देता है। इसी वजह से कई लोग इसे ज्यादा असरदार मानते हैं। लेकिन डॉक्टरों के अनुसार, रोजाना या ज्यादा दबाव डालकर टंग स्क्रैपिंग करने से जीभ की नाजुक त्वचा पर बेहद छोटे-छोटे कट लग सकते हैं, जो आंखों से दिखाई भी नहीं देते।

टंग स्क्रैपिंग के छुपे हुए खतरे
मेडिकल स्टडीज़ के मुताबिक, जीभ पर लगने वाले ये सूक्ष्म कट बैक्टीरिया के लिए शरीर में घुसने का रास्ता बन जाते हैं। ये बैक्टीरिया खून में पहुंच सकते हैं और कुछ मामलों में एंडोकार्डाइटिस (Endocarditis) जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। एंडोकार्डाइटिस दिल के अंदरूनी हिस्से और हार्ट वाल्व में होने वाला खतरनाक इंफेक्शन है। इसकी मृत्यु दर 15% से 30% तक बताई जाती है।
खासतौर पर ये लोग ज्यादा जोखिम में रहते हैं।
जिन्हें पहले से दिल की बीमारी हो
जिनका हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट हुआ हो
जिनके शरीर में पेसमेकर लगा हो
जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो।

एंडोकार्डाइटिस के लक्षण क्या हैं?
एंडोकार्डाइटिस के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, जिसकी वजह से कई लोग इसे शुरुआत में गंभीरता से नहीं लेते। इस बीमारी में व्यक्ति को लगातार बुखार रह सकता है, अत्यधिक कमजोरी और थकान महसूस होती है, साथ ही सांस फूलने की समस्या भी हो सकती है। कई मामलों में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है, पैरों या पेट में सूजन आने लगती है और बिना किसी वजह के वजन तेजी से कम होने लगता है। चूंकि ये लक्षण आम लग सकते हैं, इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे समय के साथ बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।
डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?
जीभ को नरम ब्रश से हल्के हाथ से साफ करना ज्यादा सुरक्षित होता है।
इससे बैक्टीरिया भी हटते हैं और कट लगने का खतरा भी नहीं रहता।
दिन में दो बार दांत साफ करना, फ्लॉस करना और माउथ हाइजीन बनाए रखना जरूरी है।
समय-समय पर डेंटिस्ट से जांच करानी चाहिए।

सही आदत क्या होनी चाहिए?
सही आदत यह होनी चाहिए कि सिर्फ जीभ साफ करने को ही ओरल हेल्थ का समाधान न माना जाए। अगर लगातार मुंह से बदबू आ रही है, मसूड़ों से खून आता है या दांतों में दर्द और कैविटी की समस्या बनी रहती है, तो यह मसूड़ों की बीमारी, दांतों से जुड़ी परेशानी या पाचन संबंधी दिक्कत का संकेत हो सकता है। ऐसे में ट्रेंड के चक्कर में सेहत से समझौता करने के बजाय पूरी ओरल हाइजीन पर ध्यान देना जरूरी है। सफाई जरूर रखें, लेकिन सुरक्षित और सही तरीके से, ताकि मुंह के साथ-साथ दिल भी स्वस्थ बना रहे।