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प्रेगनेंसी में UTI को Ignore ना करें, बच्चा पैदा होगा कमजोर, जानिए बचाव

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 01 Sep, 2024 01:12 PM
प्रेगनेंसी में UTI को Ignore ना करें, बच्चा पैदा होगा कमजोर, जानिए बचाव

प्रेगनेंसी के दौरान, महिलाओं को कई तरह की हैल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है जिसमें एक समस्या यूटीआई की भी है। यह बैक्टीरियल इंफैक्शऩ ई-कोलाई नाम के बैक्टीरिया से होती है। वैसे तो महिलाओं को यह समस्या किसी उम्र में कभी ना कभी हो जाती है लेकिन प्रैग्नेंसी के दौरान इसकी संभावना सबसे ज्यादा रहती है क्योंकि प्रेग्नेंसी में ग्रोइंग फीटस यूटीआई का कारण हो सकता है। ग्रोइंग फीटस ब्लैडर पर प्रेशर डालता है जिसके चलते यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है।

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प्रेग्नेंसी में ज्यादा क्यों होती है UTI इंफैक्शन?

पुरुष, महिला और बच्चे, यह समस्या किसी को कभी भी हो सकती हैं लेकिन महिलाओं को इसकी संभावना अधिक होती है क्योंकि उनका मूत्रमार्ग छोटा होता है, जिससे बैक्टीरिया आसानी से उनके यूरिनरी टैक में प्रवेश कर जाते हैं। वहीं प्रेगनेंसी में महिला के शरीर में हार्मोन्स चेंजेस इस बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह बनते हैं। गर्भाश्य बढ़ने के चलते यूरिनरी ट्रेक पर दबाव पड़ता है जिससे ब्लैडर पूरी तरह से खाली करना मुश्किल हो जाता है।

प्रैग्नेंसी में UTI के लक्षण क्या हैं?

बार- बार यूरिन आना।

वेजाइना में दर्द व जलन।

जी मचलाने और उल्टी आना।

बदबूदार यूरिन ।

कभी गर्मी , कभी ठंड महसूस होना।

पेट के निचले हिस्से। 

कमर में दर्द होना।

नींद में यूरिन का प्रैशर रहना।

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क्या UTI से गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रभाव पड़ता है?

जी हां, इस इंफेक्शन के चलते शिशु की प्रीटर्म डिलिवरी की संभावना बढ़ जाती है।

बच्चा सामान्य से कमजोर पैदा हो सकता है। 

गर्भवती को ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है जिसका प्रभाव शिशु पर पड़ता है।

एनीमिया की शिकायत हो सकती है।

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यूटीआई इंफेक्शन है तो क्या सावधानियां बरतें?

1. इंटरकोर्स ना करें। योनि की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना है।

2. कॉटन के अंडरवियर पहनें। इस दौरान महिला की इम्यूनिटी कमजोर होती है इसलिए साफ-सफाई का ज्यादा ध्यान दें। टाइट फिटिंग की पैंट ना पहनें।

3. ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। जितना ज्यादा पानी पीएंगे उतना अधिक यूरिन पास होगा और वैजाइना में फैले हुए बैक्टीरिया बाहर निकलेंगे। इसी के साथ नारियल पानी, ग्लूकोज, जूस जैसी तरल चीजें भी लेती रहें। विटामिन सी युक्त फल जैसे आंवला, संतरा और नींबू का सेवन अधिक करें। क्रैनबेरी का जूस सबसे फायदेमंद माना जाता है। 

4. डॉक्टर की सलाह से यूटीआई का टेस्ट कराती रहें।

5. प्रेग्नेंसी के दौरान पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल न करें। प्राइवेट पार्ट को हार्ड साबुन से इस्तेमाल न करें।

यूरिन इंफेक्शन को इग्नोर ना करें क्योंकि यह आपकी किडनी और होने वाले बच्चे पर भी असर डाल सकती हैं। अगर यूरिन से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो डाक्टरी सलाह जरूर लें ताकि वह आपको सही दवा व उपचार बता सकें।

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